Chaibasa Teachers Protest: ग्रेजुएट कॉलेज के शिक्षकों का अनुबंध और वेतन को लेकर बड़ा कदम
चाईबासा के ग्रेजुएट कॉलेज में बीएड शिक्षकों ने अनुबंध विस्तार और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। जानें पूरी खबर।
Chaibasa Protest: ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग के शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने अनुबंध विस्तार और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रिंसिपल डॉ. वीणा सिंह प्रियदर्शी को ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि पिछले 6 महीने से उनके अनुबंध का विस्तार नहीं किया गया है और 3 महीने से वेतन भी लंबित है। इस स्थिति ने उनके जीवन को बेहद कठिन बना दिया है।
क्या है पूरा मामला?
ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाएं लंबे समय से अनुबंध विस्तार और वेतन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कई बार उच्च पदाधिकारियों और चाईबासा विश्वविद्यालय तक अपनी समस्याएं पहुंचाई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
शिक्षकों का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। घर की आवश्यक वस्तुएं खरीदने में भी उन्हें दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में वे मंगलवार से काले बिल्ले लगाकर अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे।
ज्ञापन सौंपने वालों में कौन-कौन शामिल?
डॉ. विशेश्वर यादव, डॉ. अपराजिता, डॉ. पूनम ठाकुर, डॉ. जया शर्मा, डॉ. मीनू, प्रो. प्रियंका कुमारी, प्रो. प्रीति सिंह और प्रो. दीपिका कुजूर सहित अन्य शिक्षिकाओं ने प्रिंसिपल को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्रिंसिपल से अनुरोध किया कि कुलपति महोदय से बात करके अनुबंध विस्तार और वेतन के मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने की पहल करें।
शिक्षकों की आर्थिक स्थिति पर असर
बीएड विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बताया कि वेतन न मिलने के कारण उनके परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
- घर की जरूरतें पूरी करने में मुश्किलें: तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण कई शिक्षक बुनियादी जरूरतें पूरी करने में असमर्थ हैं।
- आर्थिक दबाव का प्रभाव: अनुबंध न बढ़ने से भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
इतिहास में शिक्षकों के आंदोलन
भारत में शिक्षकों का आंदोलन कोई नई बात नहीं है। इतिहास में कई बार शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को उजागर करने के लिए बड़े आंदोलन किए हैं। चाहे 1966 में दिल्ली में हुए आंदोलन की बात हो या 1990 के दशक में बिहार के शिक्षकों की हड़ताल, शिक्षकों ने हमेशा अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।
झारखंड में भी कई बार शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किए हैं। इस बार बीएड विभाग के शिक्षकों का यह कदम उनके अधिकारों की लड़ाई में एक और अध्याय जोड़ सकता है।
काले बिल्ले का मतलब क्या है?
मंगलवार से शिक्षक काले बिल्ले लगाकर काम करेंगे। यह प्रतीक है कि वे अपने काम के प्रति समर्पित हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। काला बिल्ला लगाना विरोध प्रदर्शन का एक शांतिपूर्ण और प्रभावी तरीका है।
आगे की राह
शिक्षकों ने उम्मीद जताई है कि प्रिंसिपल डॉ. वीणा सिंह प्रियदर्शी उनकी बातों को विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंचाएंगी।
- प्रमुख मांगें:
- अनुबंध का तुरंत विस्तार किया जाए।
- लंबित वेतन का जल्द से जल्द भुगतान हो।
- शिक्षकों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए।
क्या होगा प्रभाव?
अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो शिक्षकों का यह विरोध प्रदर्शन बढ़ सकता है। इससे न केवल कॉलेज का शैक्षणिक माहौल प्रभावित होगा, बल्कि प्रशासन पर भी दबाव बढ़ेगा।
ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग के शिक्षकों की समस्याएं झारखंड के शैक्षणिक व्यवस्था की बड़ी खामियों को उजागर करती हैं। अनुबंध विस्तार और वेतन का लंबित रहना गंभीर मुद्दे हैं, जिनका समाधान जल्द होना चाहिए।
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