Bihar Election 2025 News Update : बिहार में महागठबंधन को बड़ा झटका! JMM अलग, 6 सीटों पर अकेले लड़ेगी चुनाव - तेजस्वी-राहुल की 'धोखा' राजनीति ने कर दिया बर्बाद?

क्या महागठबंधन की सीट बंटवारे की राजनीति ने JMM को मजबूर कर दिया अलग होने पर? जानें कैसे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी को नाराज कर दिया और बिहार चुनाव में NDA को दिया फायदा?

Oct 18, 2025 - 23:25
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Bihar Election 2025 News Update : बिहार में महागठबंधन को बड़ा झटका! JMM अलग, 6 सीटों पर अकेले लड़ेगी चुनाव - तेजस्वी-राहुल की 'धोखा' राजनीति ने कर दिया बर्बाद?
Bihar Election 2025 News Update : बिहार में महागठबंधन को बड़ा झटका! JMM अलग, 6 सीटों पर अकेले लड़ेगी चुनाव - तेजस्वी-राहुल की 'धोखा' राजनीति ने कर दिया बर्बाद?

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) महागठबंधन से अलग हो गया है और अब वह बिहार की 6 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी द्वारा JMM के साथ की गई 'धोखा राजनीति' का सीधा नतीजा है।

JMM ने चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी और जमुई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। ये सभी छह सीटें बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक, JMM ने पहले चरण के नामांकन की तारीख खत्म होने के बाद ही यह रणनीतिक फैसला लिया है।

16 से 12 और फिर 0 सीटों तक का सफर: JMM के साथ 'धोखे' की कहानी

JMM प्रारंभ में बिहार विधानसभा चुनाव में 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहा था। बाद में पार्टी ने अपनी मांग घटाकर 12 सीटों तक सीमित कर ली। इस मुद्दे को लेकर पिछले दिनों झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय और मंत्री सुदिव्य कुमार सोनु पटना भी गए थे।

पटना में उनकी तेजस्वी यादव, झारखंड प्रभारी जय प्रकाश नारायण यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी बैठक हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। JMM महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने 15 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम भी दिया था, लेकिन महागठबंधन ने उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया।

मुकेश सहनी को राज्यसभा का 'लॉलीपॉप' और JMM को ठेंगा

राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि महागठबंधन की रणनीति में छोटे दलों को नजरअंदाज करने और उनके साथ 'धोखे' का भाव साफ देखा जा सकता है। जहां मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को राज्यसभा की सीट का 'लॉलीपॉप' देकर खुश किया गया, वहीं JMM जैसे राष्ट्रीय सहयोगी को सीटें देने से इनकार कर दिया गया। इससे साफ जाहिर है कि महागठबंधन की नीतियां अराजक और अपराधीकरण की ओर बढ़ रही हैं।

झारखंड में हेमंत सोरेन का 'मोहभंग'? आने वाले दिनों में दिखेगा असर

यह फैसला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। राजनीतिक सूत्र मान रहे हैं कि महागठबंधन में JMM के साथ हुई इस 'नाइंसाफी' का असर आने वाले दिनों में झारखंड में भी दिखेगा। हालांकि फिलहाल झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन JMM और राजद के बीच बढ़ा तनाव महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े करेगा।

NDA को मिल सकता है फायदा

इन छह सीटों पर JMM के अकेले चुनाव लड़ने से सीधा फायदा NDA को मिलने की उम्मीद है। विपक्षी वोटों के बंटवारे से महागठबंधन के उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह स्थिति उस समय और गंभीर हो जाती है, जब पहले से ही बिहार की 8-9 सीटों पर महागठबंधन के घटक दल आपस में ही भिड़ रहे हैं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।