Bihar Election 2025: लालू-तेजस्वी-तेजप्रताप की त्रिमूर्ति से RJD की शानदार वापसी तय! क्या NDA और कांग्रेस होंगे हाशिए पर?
बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन टूटने की कगार पर! RJD अकेले लड़ेगी और जीतेगी – तेजप्रताप यादव को डिप्टी CM बनाकर परिवार की एकता से बिहार पर राज कायम करेगी। जानिए कैसे तेजस्वी यादव की रणनीति NDA को धूल चटाएगी। RJD समर्थकों के लिए दिल छू लेने वाली खबर!
12 सितंबर 2025, पटना: भाइयों-बहनों, बिहार के उन लाखों दिलों को सलाम जो लालू जी के संघर्ष की मशाल थामे खड़े हैं, जो तेजस्वी भैया की युवा ऊर्जा में अपना भविष्य देखते हैं, और जो यादव परिवार की उस अनकही कहानी को जानते हैं जहां खून से ज्यादा रिश्ते गहरे होते हैं। आज जब महागठबंधन में कुछ बादल छाए हैं – कांग्रेस के सीट बंटवारे के बयान, तेजस्वी जी को सीएम कैंडिडेट न मानने की जिद, और पप्पू यादव जैसे पुराने साथियों की नोक-झोंक – तो ये सब हमें सोचने पर मजबूर करता है। लेकिन रुकिए! ये बादल नहीं, ये तो बस एक मौका है। मौका RJD को अपनी ताकत दिखाने का, अपनी जड़ों को मजबूत करने का, और बिहार के हर कोने में गूंजने वाले 'जय बिहार, जय RJD' के नारे को फिर से बुलंद करने का।
दोस्तों, हम जानते हैं कि गठबंधन की राजनीति में क्या-क्या होता है। 2020 में हमने 70 सीटें दीं, लेकिन जीतीं सिर्फ 19। सीमांचल हो या कोई और इलाका, हर बार वादे पूरे नहीं हुए। कांग्रेस कह रही है 'क्वालिटी ओवर क्वांटिटी' – ठीक है, लेकिन हम क्यों भूल जाएं कि RJD का दिल तो क्वालिटी का ही तो है? हमारा संघर्ष हमेशा से गरीबों, किसानों, और उन आवाजों के लिए रहा जो दबाई जाती हैं। राहुल जी की चुप्पी हो या कृष्णा अल्लावरू का बयान, ये सब दबाव की राजनीति है। लेकिन बिहार का असली हीरा तो RJD है – वो पार्टी जो 2015 में सरकार बनाई, 2024 लोकसभा में 4 सीटें झटक लीं, और आज भी तेजस्वी जी के नेतृत्व में युवाओं का भरोसा जीत रही है।
अब सवाल ये है: अगर गठबंधन टूटे तो?
अगर RJD अकेले मैदान में उतरे तो? भाइयो, ये कोई खतरा नहीं, ये तो विजय का रास्ता है! क्यों?
क्योंकि बिहार की मिट्टी में RJD की जड़ें गहरी हैं। याद कीजिए 1990 का दशक – जब लालू जी ने अकेले ही सामंती ताकतों को ललकारा था। उन्होंने बिहार को जातीय दबाव से मुक्ति दिलाई, गरीबों को आवाज दी, और एक ऐसा सामाजिक न्याय का मॉडल पेश किया जो आज भी प्रेरणा देता है। आज भी हमारे पास 144 विधानसभा सीटों का मजबूत दावा है, खासकर मुस्लिम-यादव गठजोड़ जो 40% वोट बैंक है। ये MY फैक्टर – मुस्लिम और यादव – बिहार की राजनीति का आधार स्तंभ है। अकेले लड़ने से सीटों का पूरा कंट्रोल हमारे पास रहेगा – कोई बंटवारा नहीं, कोई समझौता नहीं। हम सीमांचल में अपनी ताकत दिखाएंगे, जहां हमारा सोशल इंजीनियरिंग का जादू चलेगा। मगध, कोसी, तिरहुत – हर क्षेत्र में तेजस्वी जी की 'माई बिहार' वाली अपील सीधे दिलों तक पहुंचेगी।
एनडीए की बिखरी हुई छवि के सामने हमारी एकजुट छवि चमकेगी। नीतीश जी की बार-बार की पलटबाजी – कभी NDA, कभी महागठबंधन – ने लोगों का भरोसा तोड़ दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA को झटका लगा, और अब 2025 में RJD की युवा ब्रिगेड तैयार है। सर्वे बताते हैं कि अकेले लड़ने पर RJD 100+ सीटें पार कर सकती है – क्योंकि बिहारवासी अब समझ गए हैं कि असली बदलाव सिर्फ हम ला सकते हैं। नौकरियां, शिक्षा, स्वास्थ्य – तेजस्वी जी ने 2020 में सरकार में रहते हुए 5 लाख नौकरियां देने का वादा निभाया था, और आज भी उनके 'बिहार बचाओ' अभियान से लाखों युवा जुड़ रहे हैं। कल्पना कीजिए, बिना किसी गठबंधन के बोझ के RJD पूरे 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हर विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय नेता, जो RJD के वफादार हैं, मैदान संभालेंगे। कोई सीट बंटवारे की मारामारी नहीं – सिर्फ शुद्ध RJD का जज्बा।
और कैसे जीतेंगे?
सरल रणनीति: जमीन पर उतरें! तेजस्वी जी की रैलियां, युवा संवाद, और ग्रामीण अभियान। लेकिन जीत का असली राज? परिवार। हां, वही यादव परिवार जो बिहार की राजनीति का धड़कता दिल है। तेजप्रताप भैया – वो बागी नहीं, वो तो परिवार का वो हिस्सा हैं जो कभी भटके, लेकिन दिल से कभी अलग नहीं हुए। मई 2025 में सोशल मीडिया का वो विवाद, जहां RJD ने उन्हें निष्कासित किया था, लेकिन तेजप्रताप जी ने इसे हैक बताया – ये सब तो बस एक गलतफहमी थी। अगस्त में नया गठबंधन बनाने का ऐलान, पांच क्षेत्रीय दलों के साथ – ये तो उनकी साहस की मिसाल है। उन्होंने कांग्रेस की 'मतदाता अधिकार यात्रा' पर सवाल उठाए, राहुल जी और तेजस्वी जी की मंशा पर टिप्पणी की – लेकिन गौर से देखिए, ये सब RJD की ही रक्षा के लिए था। तेजप्रताप जी का दिल तो हमेशा लालू जी के साथ है, उनके बयान अक्सर पार्टी की लाइन से अलग लगते हैं, लेकिन वो सच्चाई की आवाज हैं।
तो बस एक काम कर लीजिए, लालू जी, तेजस्वी जी – तेजप्रताप को वापस बुला लीजिए। एक फोन, एक गले लगना, और वो फिर से घर लौट आएंगे। और उसके साथ एक वादा: डिप्टी CM का पद। हां, बिहार का उपमुख्यमंत्री तेजप्रताप यादव! ये सिर्फ एक पोस्ट नहीं, ये परिवार की एकता का प्रतीक होगा। कल्पना कीजिए – तेजस्वी CM, तेजप्रताप डिप्टी: भाई-भाई मिलकर बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। तेजप्रताप की कलाकार आत्मा, उनकी साहसी आवाज – ये तो RJD को और मजबूत बनाएगी। युवा वोटर देखेंगे कि यहां परिवारवाद नहीं, पारिवारिक एकजुटता है। मुस्लिम भाइयों को भरोसा मिलेगा कि हमारी लड़ाई सबके लिए है। और विपक्ष? वो तो कन्फ्यूज हो जाएगा – यादव भाइयों की जोड़ी को तो कोई हरा ही नहीं सकता!
RJD समर्थकों, याद कीजिए वो दिन जब लालू जी जेल में थे, लेकिन RJD की लहर नहीं रुकी। तेजस्वी जी ने अकेले ही मोर्चा संभाला, और आज वो बिहार के सबसे लोकप्रिय युवा नेता हैं। तेजप्रताप की वापसी से परिवार पूरा होगा – लालू जी का आशीर्वाद, तेजस्वी की रणनीति, तेजप्रताप की ऊर्जा। ये तीनों मिलकर NDA की नींद उड़ा देंगे। पप्पू यादव के बयान – कि RJD को गठबंधन धर्म निभाना चाहिए – लेकिन अब समय है अकेले चलने का। कांग्रेस की 'क्वालिटी' वाली बातें सुनकर हंस आती है – क्योंकि RJD की क्वालिटी तो बिहार की जनता जानती है। 2015 में हमने 80 सीटें जीतीं, 2020 में 75 – अकेले लड़ें तो 120+ क्यों नहीं?
अब थोड़ा गहराई से सोचिए: तेजप्रताप की वापसी कैसे होगी?
लालू जी का वो पुराना स्टाइल – परिवार को एक रखना। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस, जहां तेजप्रताप जी हाथ जोड़कर माफी मांगें (भले ही गलती उनकी न हो), और तेजस्वी जी उन्हें गले लगाएं। फिर ऐलान: 'तेजप्रताप हमारे डिप्टी CM कैंडिडेट!' ये खबर फैलेगी जंगल की आग की तरह। सोशल मीडिया पर #TejPratapGharWapsi ट्रेंड करेगा। RJD के कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएंगे – 'देखो, यादव परिवार एक है, बिहार एक है।' महुआ सीट से तेजप्रताप लड़ेंगे, और जीतकर डिप्टी CM बनेंगे। ये सिर्फ राजनीति नहीं, भावनाओं का खेल है। बिहार के लोग परिवार को महत्व देते हैं – वो देखेंगे कि RJD में झगड़े सुलझते हैं, एकता बनी रहती है।
कांग्रेस को क्या होगा? वो अपनी 'मतदाता अधिकार यात्रा' में व्यस्त हैं, लेकिन बिना RJD के वो सीमांचल में कितनी सीटें जीतेंगी? 2020 की 19 सीटें भी मुश्किल हो जाएंगी। पप्पू यादव की आलोचना – कि तेजस्वी ने 2024 में सीमांचल में अच्छा नहीं किया – लेकिन सच्चाई ये है कि RJD ने वहां मजबूती दिखाई। अब अकेले लड़कर हम वो इलाका फतह करेंगे। RJD की रणनीति: ग्रासरूट कैंपेन, महिलाओं को टिकट, युवाओं को मौका। तेजस्वी जी की 'बिहार फर्स्ट' पॉलिसी – रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, किसान कल्याण। तेजप्रताप जी डिप्टी CM बनकर संस्कृति और युवा मामलों को संभालेंगे – उनकी क्रिएटिविटी से बिहार चमकेगा।
RJD भाइयो, ये संकट का समय नहीं, अवसर का है। अकेले लड़ो, तेजप्रताप को गले लगाओ, और 2025 में बिहार पर 'लालू-तेजस्वी-तेजप्रताप' का राज कायम करो। दिल से कहता हूं – हम हारेंगे नहीं, क्योंकि हमारा संघर्ष रक्त में बसा है। जय बिहार! जय RJD! जय यादव परिवार!
लेकिन रुकिए, ये सिर्फ शुरुआत है। आइए थोड़ा और गहराई में उतरें। बिहार की राजनीति में परिवार की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। लालू प्रसाद यादव ने 1990 में जब मुख्यमंत्री बने, तो ये सिर्फ एक व्यक्ति की जीत नहीं थी – ये एक परिवार की, एक समुदाय की जीत थी। राबड़ी देवी जी की सरकार, मीसा भारती, रोहिणी आचार्य – हर सदस्य ने योगदान दिया। तेजप्रताप जी भी उसी परंपरा के हिस्सा हैं। उनकी शादी, उनके बयान, उनके सोशल मीडिया पोस्ट – सब कुछ बिहार की जनता ने देखा है। लेकिन वो कभी RJD से अलग नहीं हुए, बस थोड़े नाराज थे। अब वापसी से RJD की ताकत दोगुनी हो जाएगी। कल्पना कीजिए चुनावी रैलियों में तीनों एक मंच पर – लालू जी का भाषण, तेजस्वी की नीतियां, तेजप्रताप की कविताएं। ये दृश्य दिल जीत लेगा।
और चुनावी गणित? RJD का वोट बैंक: 20% यादव, 17% मुस्लिम, दलित और पिछड़े। अकेले लड़ने से हम EBC (एक्सट्रीमली बैकवर्ड क्लास) को भी लुभा सकते हैं, क्योंकि कोई गठबंधन नहीं तो कोई समझौता नहीं। तेजप्रताप की नई पार्टी और गठबंधन? वो तो बस एक ब्रिज था – अब वो RJD में मर्ज हो जाएगा। पांच क्षेत्रीय दलों के वोट भी हमारे साथ आएंगे।
ये तो बस एक उम्मीद है। आगे का रास्ता राजद और लालू परिवार को तय करना है। बिहार का भविष्य बिहार की जनता के हाथ में है। अच्छा-बुरा सब जानते हैं। किसे वोट देना है और किसे जिताना है।
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