कोवाली में पत्नी हत्या के आरोपी भगवा मुंडा साक्ष्य अभाव में बरी
कोवाली में पत्नी हत्या के आरोपी भगवा मुंडा साक्ष्य अभाव में बरी
जमशेदपुर कोर्ट के एडीजे-8 कनकन पट्टादार की अदालत ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में भगवा मुंडा को पत्नी की हत्या के आरोप से बरी कर दिया। पिछले आठ वर्षों से जेल में बंद भगवा मुंडा को साक्ष्य की कमी के कारण रिहा किया गया।
केस का पृष्ठभूमि
भगवा मुंडा पर 2016 में अपनी पत्नी छेदी सवर की हत्या का आरोप था। छेदी ने घटना से तीन दिन पूर्व ही एक बेटी को जन्म दिया था। किसी बात को लेकर हुए विवाद में भगवा ने अपनी पत्नी की पिटाई की थी, जिसके तीन दिन बाद छेदी की मृत्यु हो गई। इसके बाद कोवाली थाने में भगवा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था।
आठ साल का संघर्ष
इस मामले में पिछले आठ सालों में कोई भी गवाह अदालत के सामने पेश नहीं हुआ, जिससे साक्ष्य की कमी के कारण अदालत ने भगवा को बरी कर दिया। भगवा मुंडा ने जेल में बिताए इन आठ सालों को न्याय की प्रतीक्षा में गुजारे। भगवा मुंडा की बरी होने का निर्णय न्याय प्रणाली के महत्व और साक्ष्य के अभाव में किसी को दोषी ठहराने के खतरों को रेखांकित करता है। अदालत का यह फैसला यह भी दिखाता है कि बिना पुख्ता सबूतों के किसी को सजा देना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
भावी कदम
भगवा मुंडा की रिहाई के बाद अब उनकी जिंदगी में नए सिरे से शुरुआत की उम्मीद है। उनके वकील ने कहा कि वे अब अपने जीवन को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश करेंगे और समाज में एक सामान्य जीवन जीने का प्रयास करेंगे। इस केस ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि न्याय प्रणाली में साक्ष्य का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। बिना साक्ष्य के किसी भी मामले में निर्णय लेना न केवल न्याय के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह निर्दोष व्यक्ति के जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।
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