Baharagora Accident: NH 18 पर खड़े ट्रक से टकराई कार, एक ही परिवार के तीन लोगों की दर्दनाक मौत
बहरागोड़ा NH 18 पर देर रात खड़े ट्रक से टकराई स्विफ्ट डिज़ायर कार, एक ही परिवार के तीन लोगों की दर्दनाक मौत। हादसे का इतिहास, गुस्सा और प्रशासन पर सवाल।

बहरागोड़ा थाना क्षेत्र का एनएच 18 हमेशा से ही अपनी खतरनाक मोड़ों और तेज रफ्तार ट्रकों के लिए बदनाम रहा है। बीती रात एक ऐसी ही घटना घटी जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर लौट रहे तीन लोग सड़क किनारे खड़े 14-चक्का ट्रक से टकरा गए और मौके पर ही उनकी ज़िंदगी खत्म हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
मिली जानकारी के अनुसार, मारुति स्विफ्ट डिज़ायर (नंबर WB51C7151) कोलकाता से जमशेदपुर की ओर जा रही थी। देर रात झरिया मोड़ के पास कार अचानक खड़े ट्रक से जा टकराई। टक्कर इतनी भयानक थी कि गाड़ी का अगला हिस्सा बुरी तरह चकनाचूर हो गया और कार में बैठे तीनों लोग उसमें फंस गए।
हादसे में चालक गणेश रॉय (50 वर्ष, चक्रबाड़िया रोड, कोलकाता), जमशेदपुर कदमा की कुसुमिता पटनायक (55 वर्ष) और उनकी बेटी मोनिका पटनायक (28 वर्ष) गंभीर रूप से घायल हो गए।
स्थानीय लोगों की सूचना पर बहरागोड़ा पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और एनएचएआई एंबुलेंस से घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहरागोड़ा ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
बहरागोड़ा-घाटशिला रूट क्यों है इतना खतरनाक?
यह पहली बार नहीं है जब बहरागोड़ा-घाटशिला नेशनल हाईवे (NH 18) पर इस तरह की दुर्घटना हुई हो। यह इलाका लंबे समय से “एक्सीडेंट ज़ोन” के तौर पर जाना जाता है।
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2022 में इसी इलाके में एक बस और ट्रक की टक्कर में 8 लोगों की मौत हुई थी।
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2019 में जमशेदपुर लौट रहे एक ही परिवार के 5 लोग हादसे में मारे गए थे।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि यहाँ ट्रकों की अवैध पार्किंग और रात के अंधेरे में पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स की कमी बड़ी वजह है।
इतिहास गवाह है कि एनएच 18 का यह हिस्सा प्रशासनिक लापरवाही और लापरवाह ड्राइविंग की वजह से ‘ब्लैक स्पॉट’ बन चुका है।
लोगों में गुस्सा और सवाल
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने सड़क पर जाम लगाने की चेतावनी दी। उनका कहना है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही से आए दिन सड़क पर मौतें हो रही हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर ट्रक को हाईवे के किनारे क्यों खड़ा किया गया था?
साथ ही, इस दुर्घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे हाईवे वाकई सुरक्षित हैं या फिर यह मौत के फंदे साबित हो रहे हैं?
परिवार के लिए काली रात
कुसुमिता पटनायक और उनकी बेटी मोनिका जमशेदपुर में रह रही थीं और अक्सर परिवारिक कारणों से कोलकाता जाती थीं। बताया जा रहा है कि यह सफर उनके लिए रोज़मर्रा जैसा था, लेकिन इस बार यह सफर उनकी ज़िंदगी की आखिरी यात्रा बन गया।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को जब्त कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल तीनों शवों को अनुमंडल अस्पताल घाटशिला भेजा गया है, जहाँ पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा।
क्यों बढ़ते जा रहे हैं सड़क हादसे?
भारत हर साल सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज करने वाले देशों में शामिल है। परिवहन मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक़—
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हर साल लगभग 1.5 लाख लोग भारत में सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं।
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इनमें से लगभग 70% हादसे हाईवे पर होते हैं।
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सबसे बड़ी वजहें हैं—तेज़ रफ्तार, नशे की हालत में ड्राइविंग, सड़क किनारे अवैध पार्किंग और खराब रोशनी।
बहरागोड़ा की यह घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम पर बड़ा सवाल है। हाईवे पर बिना प्लानिंग ट्रक खड़े करना, प्रशासन की चुप्पी और सुरक्षा इंतज़ामों की कमी, सब मिलकर ऐसी घटनाओं को दावत देते हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस घटना से सबक लेगा या फिर NH 18 पर मौत का यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा।
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