आजाद अधिकार सेना का विरोध: नए आपराधिक कानूनों पर पुनर्विचार की मांग
आजाद अधिकार सेना का विरोध: नए आपराधिक कानूनों पर पुनर्विचार की मांग
जमशेदपुर में बुधवार को आजाद अधिकार सेना के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने इन कानूनों पर पुनर्विचार करते हुए व्यापक लोकतांत्रिक ढंग से पुनर्मूल्यांकन करने की मांग की है।
पूर्वी सिंहभूम आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष गौरव कुमार राय ने बताया कि इन आपराधिक कानूनों में किए गए परिवर्तन न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक एजेंडा पूरा करने और विरोधियों को फंसाने के लिए किए गए हैं। उन्होंने धारा 113 भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में परिभाषित आतंकवाद से जुड़े प्रावधानों के भारी दुरुपयोग की संभावनाएं बताईं।
राय ने आगे बताया कि पूर्व में धारा 124 ए आईपीसी में राजद्रोह के अपराध को अब धारा 152 बीएनएस के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस) की धारा में प्रत्येक अभियुक्त की जानकारी को डिजिटल मोड में पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा, जिससे अभियुक्तों की निजी जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी और इसके दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हटाई गई हथकड़ी की व्यवस्था को धारा 43(3) बीएनएसएस में फिर से लाया गया है। धारा 251 बीएनएनएस में ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आरोप लगाने की व्यवस्था की गई है, जिससे अभियुक्त कोर्ट में उपस्थित होकर अपनी बात कहने से वंचित रह जाएंगे और उनके बचाव के साधन कम हो जाएंगे।
आजाद अधिकार सेना का मानना है कि इन प्रावधानों पर पुन: विचार किया जाना चाहिए ताकि न्याय व्यवस्था में किसी प्रकार की राजनीतिक दखलंदाजी न हो और सभी नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहें।
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