Aurangzeb History Controversy: औरंगजेब पर क्यों मचा बवाल? जानिए औरंगजेब कि कहानी और कैसे उसने सत्ता पाने के लिए अपने भाइयों को मरवा दिया
महाराष्ट्र में औरंगजेब से जुड़ा विवाद फिर गर्माया! जानिए कैसे उसने सत्ता पाने के लिए अपने भाइयों को मरवा दिया और क्यों उसे सबसे क्रूर मुगल शासकों में गिना जाता है। पढ़ें पूरी कहानी।

3 मार्च 2025: औरंगजेब को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने कहा कि औरंगजेब क्रूर शासक नहीं था, बल्कि उसने कई मंदिर भी बनवाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच लड़ाई धार्मिक नहीं थी, बल्कि सत्ता और संपत्ति को लेकर थी। हालांकि, इस बयान के बाद राजनीति गर्मा गई।
4 मार्च 2025: विवाद बढ़ने पर अबू आज़मी ने अपने बयान को वापस ले लिया और कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अगर औरंगजेब हिंदुओं के खिलाफ होता, तो 34% हिंदू उसके साथ नहीं होते। लेकिन महाराष्ट्र में इस बयान का विरोध तेज हो गया और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि औरंगजेब कौन था और क्यों उसे सबसे निर्दयी शासकों में गिना जाता है? आइए, इस रहस्यमयी और क्रूर मुगल बादशाह की कहानी को विस्तार से जानते हैं।
औरंगजेब कौन था?
औरंगजेब का पूरा नाम अबुल मुजफ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब था। उसका जन्म 4 नवंबर 1618 को गुजरात के दोहद में हुआ था। वह शाहजहां और मुमताज का बेटा था। लेकिन शाहजहां का सबसे प्रिय बेटा उसका बड़ा बेटा दारा शिकोह था, जो अधिक सहिष्णु और विद्वान माना जाता था। औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने ही परिवार के लोगों को खत्म कर दिया।
कैसे औरंगजेब ने सत्ता हथियाई?
1657 में शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद सत्ता संघर्ष शुरू हुआ। इस दौरान औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को मौत के घाट उतार दिया और अन्य भाइयों को भी मरवा दिया। इसके बाद उसने खुद को मुगल साम्राज्य का शासक घोषित कर लिया और आखिरकार 1658 में आगरा पर कब्जा कर लिया।
- उसने शाहजहां को बंदी बना दिया और दारा शिकोह की हत्या करवाई।
- मुराद को धोखे से कैद किया और उसे मरवा दिया।
- शाह शुजा भाग गया लेकिन बाद में उसकी भी मौत हो गई।
इस तरह, सत्ता के लिए औरंगजेब ने अपने ही खून के रिश्तों का अंत कर दिया।
क्या औरंगजेब वाकई क्रूर था?
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब ने 49 साल तक शासन किया, लेकिन यह काल संघर्ष, दमन और अत्याचारों से भरा रहा।
- उसने मंदिरों को तुड़वाया, जिनमें काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर शामिल हैं।
- हिंदुओं पर जजिया कर फिर से लगाया, जिससे उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया।
- शिवाजी महाराज को धोखे से पकड़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा।
- सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर को जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आदेश दिया, लेकिन उनके इनकार करने पर उनकी हत्या कर दी गई।
- संभाजी महाराज को भी क्रूर यातनाएं दी गईं, लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा।
विद्रोह और अंत
औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ कई विद्रोह हुए:
- 1679 में राजपूतों ने विद्रोह किया।
- 1686 में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने औरंगजेब से टकराव किया।
- मराठों ने शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के नेतृत्व में युद्ध किया।
इन संघर्षों के चलते उसका साम्राज्य कमजोर होता गया। 1707 में अहमदनगर में उसकी मौत हो गई और उसके बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन शुरू हो गया।
आज भी इतिहास में औरंगजेब को सबसे विवादित और क्रूर शासकों में गिना जाता है। महाराष्ट्र में चल रहे विवाद ने एक बार फिर उसकी हुकूमत के काले पन्नों को उजागर कर दिया है। क्या आप मानते हैं कि इतिहास से हमें कुछ सीखना चाहिए? कमेंट में अपनी राय बताइए!
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