अक्षय नवमी: प्रेमनगर में हुआ आंवले के पेड़ की पूजा का आयोजन, जानें क्यों है ये दिन विशेष
अक्षय नवमी के अवसर पर प्रेमनगर में भक्तों ने आंवले के वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया। जानें, इस दिन की ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएं, और क्यों आंवले का पेड़ है इतना पूजनीय।
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झारखंड के पोटका प्रखंड के जुड़ीं पंचायत के प्रेमनगर में अक्षय नवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस खास मौके पर स्थानीय लोगों ने आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर भगवान विष्णु, शिव और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त किया। आस्था और परंपराओं से भरे इस पर्व में शामिल हुए पंडित चंदन मिश्र ने अक्षय नवमी के महत्व पर प्रकाश डाला और आंवले के वृक्ष को क्यों पूजनीय माना गया है, इसके ऐतिहासिक और धार्मिक कारण बताए।
अक्षय नवमी: आंवले के पेड़ की पूजा और उसका महत्व
अक्षय नवमी का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को धन-धान्य, सुख-शांति और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस विशेष दिन आंवले के वृक्ष पर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी तीनों का वास रहता है, और इनकी पूजा करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
पवित्र आंवला वृक्ष: क्यों है इतना खास?
भारतीय संस्कृति में आंवले के वृक्ष को अत्यधिक पूजनीय माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आंवला केवल एक वृक्ष ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु का निवास स्थल भी है। इस वृक्ष को पूजने से कई पीढ़ियों के पापों का क्षय होता है और आने वाली संततियों को भी इसका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंडित चंदन मिश्र ने बताया कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर सबसे पहले भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए, जिसमें आंवले का फल शामिल होना आवश्यक है।
अक्षय नवमी के धार्मिक अनुष्ठान
अक्षय नवमी के दिन पूजा करने का विशेष तरीका है। सबसे पहले आंवले के पेड़ के नीचे परिवार संग मिलकर भोजन तैयार करना चाहिए और भगवान को भोग लगाकर उनकी आराधना करनी चाहिए। भोग में आंवले का फल विशेष रूप से शामिल करना चाहिए, इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रेमनगर में आयोजन में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
इस विशेष अवसर पर प्रेमनगर में मुन्नी कुमारी, राजेश्वरी मिश्रा, अन्नू झा, पुनिता झा और इंदू गिरी जैसे स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित थे। इस आयोजन ने सभी को एक साथ मिलकर धार्मिक परंपराओं को निभाने का अवसर दिया। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर अक्षय नवमी के महत्व को महसूस किया और इसे आत्मसात करने का प्रण लिया।
आस्था और संस्कृति का संगम
अक्षय नवमी जैसे पर्व न केवल हमारे धर्म और संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि हमारी पीढ़ियों को अपने मूल्यों और मान्यताओं से जोड़ते हैं। प्रेमनगर के लोगों ने इस पर्व के माध्यम से आस्था, श्रद्धा और परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
अक्षय नवमी की पूजा से लाभ
अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से स्वास्थ्य और धन में वृद्धि होती है। साथ ही, भगवान के आशीर्वाद से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसे पर्व और त्योहार हमारे धार्मिक संस्कारों को बनाए रखने में सहायक होते हैं और हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं।
अक्षय नवमी जैसे पर्व से जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने से समाज में धार्मिकता, शांति और समृद्धि की भावना विकसित होती है।
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