आदिवासी संगठनों ने किया कांके अंचल कार्यालय का घेराव, जमीन लूट की सीबीआई जांच की मांग
रांची में आदिवासी संगठनों ने कांके अंचल कार्यालय का घेराव किया। जमीन लूट के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सीबीआई जांच और 22 सूत्री मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।
रांची, 8 अक्टूबर 2024: आदिवासी संगठनों ने सोमवार को कांके अंचल कार्यालय का घेराव किया और जमीन लूट के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में केंद्रीय सरना समिति, राजी पड़हा, सरना प्रार्थना सभा, जमीन बचाओ संघर्ष समिति चामा, आदिवासी महासभा समेत कई आदिवासी संगठन शामिल थे। प्रदर्शनकारी महिला और पुरुष बोड़ेया चौक से पदयात्रा करते हुए कांके अंचल कार्यालय तक पहुंचे और जमकर नारेबाजी की।
पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने कहा, "आदिवासियों की धार्मिक और सामाजिक जमीनों को लगातार लूटा जा रहा है। अगर जमीन नहीं बचाई गई, तो आदिवासी समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो आदिवासी अपनी परंपराओं और संस्कृति को भी खो देंगे।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा, "हमारे धर्म, परंपरा, और संस्कृति की जड़ें हमारी जमीन से जुड़ी हैं। जमीन नहीं बचेगी तो हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी समाप्त हो जाएगी।"
ज्ञापन में प्रमुख मांगें
प्रदर्शन के दौरान, 22 सूत्री मांगों को लेकर अंचल कार्यालय के बड़ा बाबू सुभाष चन्द्र नायक को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम अपील की गई कि आदिवासियों की जमीनों की लूट पर रोक लगाने के लिए सीबीआई जांच कराई जाए। कुछ प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- कांके अंचल अधिकारी जयकुमार राम को बर्खास्त किया जाए।
- सदा पट्टा से आदिवासी जमीनों की खरीद-बिक्री पर पूर्ण रोक लगाई जाए।
- सामाजिक और धार्मिक जमीनों जैसे पहनई, मुंडारी, सरना स्थल आदि की सुरक्षा के लिए सरकार ठोस कदम उठाए।
- आदिवासी जमीनों की खरीद-बिक्री रोकने के लिए सीएनटी एक्ट की धारा 46 के तहत कार्रवाई की जाए।
- फर्जी कागजात के जरिए बेची जा रही गैरमजरूआ जमीनों पर सख्त रोक लगाई जाए।
- अंचल कार्यालय द्वारा खतियानी जमीन का ऑनलाइन कैंप लगाकर पंचायत स्तर पर प्रक्रिया की जाए।
प्रदर्शन के दौरान मौजूद नेता
इस विरोध प्रदर्शन में आदिवासी समाज के कई प्रमुख नेता और संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इनमें केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की, तानसेन गाड़ी, सधन उरांव, विनोद तिर्की, अमर तिर्की, बलकू उरांव, उषा खालखो, निरा टोप्पो, आकाश उरांव समेत अन्य लोग शामिल थे। सभी ने एक सुर में कहा कि यदि जल्द ही आदिवासियों की जमीनों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे और भी बड़े आंदोलन की राह पर चलेंगे।
आंदोलन की जरूरत क्यों?
आदिवासियों की जमीनों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण और धोखाधड़ी से आदिवासी समाज बेहद परेशान है। कई मामलों में गैर-आदिवासियों को गलत तरीके से आदिवासियों की जमीनें बेची जा रही हैं, जिससे आदिवासी समुदाय अपनी जमीन और संस्कृति दोनों खो रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अपील की कि इन समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और उचित कानूनी कदम उठाए जाएं ताकि आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें।
सरकार से उम्मीदें
आंदोलनकारियों को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द उनकी मांगों पर ध्यान देगी और आदिवासियों की जमीन और संस्कृति की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगी।
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