पूर्वी जमशेदपुर में तरुण डे की एंट्री से राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरण में खलबली, जानिए कौन है यह समाजसेवी जो बदल रहे हैं चुनावी माहौल
पूर्वी जमशेदपुर सीट पर समाजसेवी तरुण डे की एंट्री से चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। डे का परिवार वर्षों से सामाजिक सेवा में सक्रिय है, और उनकी उम्मीदवारी राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरण को चुनौती दे रही है।
जमशेदपुर: झारखंड विधानसभा चुनाव में पूर्वी जमशेदपुर की सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। इस सीट को अब “हॉट सीट” का दर्जा दिया जा रहा है क्योंकि यहां पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पुत्रवधू पूर्णिमा दास और कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. अजय कुमार के बीच टक्कर का अंदेशा था। लेकिन अब इस चुनावी रणभूमि में तीसरी चुनौती के रूप में तरुण डे ने अपने कदम रख दिए हैं।
तरुण डे, जो झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के प्रत्याशी हैं, न सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरणों को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि क्षेत्र में अपनी मजबूत सामाजिक छवि के कारण जनता का ध्यान भी खींच रहे हैं। डे का परिवार तीन पीढ़ियों से सामाजिक सेवा में सक्रिय रहा है। उनके दादा और पिता ने क्षेत्र में वर्षों से सेवा का कार्य किया है, और उनके पदचिह्नों पर चलते हुए तरुण डे भी हमेशा क्षेत्र के लोगों के लिए खड़े रहे हैं।
समाजसेवा से राजनीति तक का सफर
तरुण डे का सफर एक साधारण परिवार से उठकर राजनीति में आने का रहा है। लंबे समय से वह स्थानीय मुद्दों पर आवाज उठाते आए हैं, और उनकी मेहनत और सेवा भावना ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया है। जब चुनाव की घोषणा हुई, तो क्षेत्र के बुजुर्ग, महिलाएं और युवा उनसे चुनाव में उतरने का आग्रह करने लगे। उन्होंने जनता की भावनाओं को समझते हुए चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया, और इस फैसले के बाद से ही जेएलकेएम ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया।
तरुण डे की प्राथमिकताएं और चुनावी मुद्दे
तरुण डे का कहना है कि उनका चुनावी एजेंडा मुख्य रूप से क्षेत्र के बुनियादी मुद्दों पर आधारित है। उन्होंने घोषणा की है कि उनका फोकस क्षेत्र के लोगों को मालिकाना हक दिलाना, शिक्षा में सुधार लाना, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है। तरुण का कहना है कि इन मुद्दों पर अन्य पार्टियां हमेशा मौन रही हैं, जबकि इन क्षेत्रों में सुधार करना जनता का मौलिक अधिकार है।
क्षेत्र में जनता का बढ़ता समर्थन
तरुण डे की उम्मीदवारी ने पूर्वी जमशेदपुर में चुनावी माहौल को गर्मा दिया है। वे घर-घर जाकर अपने पक्ष में वोट मांग रहे हैं, और राष्ट्रीय पार्टियों के प्रति निराशा व्यक्त कर रहे लोगों में तरुण डे की छवि एक सच्चे नेता के रूप में उभर रही है। उनका कहना है कि वे किसी के हितों को साधने के बजाय जनता के लिए, जनता के बीच रहकर सेवा करना चाहते हैं। क्षेत्र के लोगों से मिल रहे अपार समर्थन ने उनकी उम्मीदवारी को और मजबूत कर दिया है।
राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरण पर असर
तरुण डे के चुनावी मैदान में आने से राष्ट्रीय पार्टियों के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और सामाजिक कार्यों की मजबूत पृष्ठभूमि के चलते भाजपा और कांग्रेस को भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के कई लोग मानते हैं कि तरुण डे जैसे स्थानीय उम्मीदवार में वो बात है जो राष्ट्रीय नेताओं में दिखाई नहीं देती।
तरुण डे का कहना है कि उनका प्रयास सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है; वे क्षेत्र के हर व्यक्ति को मालिकाना हक दिलाने और हर युवा को रोजगार का अधिकार दिलाने का सपना देखते हैं। अगर जनता ने उन्हें मौका दिया, तो वे इस क्षेत्र के विकास को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
तरुण डे की उम्मीदवारी ने पूर्वी जमशेदपुर में एक नई उम्मीद जगा दी है। जनता को अब राष्ट्रीय पार्टियों के वादों से परे जाकर एक ऐसे नेता की तलाश है, जो वास्तव में उनके साथ और उनके लिए खड़ा हो।
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