Solapur Election: ओवैसी को मंच पर नोटिस क्यों दिया गया? जानिए पूरा विवाद
सोलापुर में असदुद्दीन ओवैसी को मंच पर ही पुलिस ने क्यों दिया नोटिस? जानिए चुनावी रैली से जुड़ी पूरी जानकारी और ओवैसी के भड़काऊ भाषण को लेकर क्या कहा गया।
सोलापुर, 14 नवंबर — महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होने वाली है, और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी बीच, महाराष्ट्र के सोलापुर में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का एक चुनावी प्रचार अभियान विवादों में घिर गया। बुधवार को सोलापुर मध्य विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार फारूक शाब्दी की चुनावी रैली में शामिल होने पहुंचे ओवैसी को पुलिस ने मंच पर ही नोटिस दे दिया। यह नोटिस उन्हें भड़काऊ भाषण देने के खिलाफ चेतावनी के रूप में जारी किया गया।
मंच पर पुलिस का हस्तक्षेप: क्या था नोटिस में?
सोलापुर की इस चुनावी रैली में जब असदुद्दीन ओवैसी अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे, तभी पुलिस के जवान ने मंच पर चढ़कर उन्हें एक नोटिस सौंप दिया। यह नोटिस बीएनएस की धारा 168 के तहत दिया गया, जिसमें ओवैसी को यह हिदायत दी गई कि वह अपने भाषण में किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं और भड़काऊ बयान न दें। इस धारा के तहत पुलिस किसी संज्ञेय अपराध को होने से रोकने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है, और ओवैसी को दी गई यह चेतावनी उसी का हिस्सा थी।
ओवैसी का विवादित भाषण: क्या बोले थे उन्होंने?
इससे पहले, असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में भी अपने विरोधियों पर हमला बोला था। वहां उन्होंने महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के गठबंधन को निशाने पर लिया और साथ ही औरंगाबाद के नाम को लेकर विवाद उठाया था। ओवैसी ने कहा था कि यह नाम बदलने के फैसले के पीछे केवल एक राजनीतिक एजेंडा है, जो सच्चे इतिहास से हटकर है।
इसके अलावा, ओवैसी ने मुंबई के भायखला में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए महायुति और महाविकास अघाड़ी के नेताओं को भी अपनी आलोचना का निशाना बनाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जोरदार हमला बोला। ओवैसी ने कहा, "फडणवीस, तुम, अमित शाह और मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते। तुम लोग जिहाद के मायने नहीं जानते हो। मोदी जी मुस्लिम महिलाओं के लिए मंगलसूत्र की बात करते हैं, पर आप बताओ आपके वालिद के कितने बच्चे हैं?"
चुनावी माहौल में उबाल: ओवैसी की बयानबाजी
ओवैसी की यह बयानबाजी चुनावी माहौल में आग में घी डालने जैसा साबित हो रही है। उनकी बातें जहां एक ओर कई मुस्लिम समुदाय के लोगों में लोकप्रिय हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर उनके विरोधी इसे देश के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश मानते हैं। ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा कि वह किसी भी प्रकार की भड़काऊ बयानबाजी से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि वह हमेशा से ही सच्चाई का समर्थन करते आए हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।
क्या ओवैसी की बयानबाजी चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
ओवैसी की इस तरह की बयानबाजी को उनके समर्थक और विरोधी दोनों ही अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। जहां एक तरफ उनके समर्थक इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा मानते हैं, वहीं दूसरी ओर विरोधियों का कहना है कि ओवैसी के इस प्रकार के भड़काऊ भाषणों से चुनावी माहौल गर्म हो सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ऐसे वक्त में ओवैसी की यह बयानबाजी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब राज्य में राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है।
नोटिस के बाद के कदम: क्या होगा आगे?
पुलिस द्वारा ओवैसी को नोटिस दिए जाने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपनी भविष्य की चुनावी रैलियों में किस प्रकार का भाषण देते हैं। क्या वह इस नोटिस को नजरअंदाज करते हुए अपनी शैली में बदलाव नहीं करेंगे, या फिर पुलिस और प्रशासन की चेतावनी को गंभीरता से लेकर अपना दृष्टिकोण बदलने पर विचार करेंगे? इस समय महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावी माहौल गर्म है, और ओवैसी के जैसे नेता हमेशा से ही मीडिया और जनता का ध्यान खींचते रहे हैं।
इस घटनाक्रम से यह सवाल भी उठता है कि क्या ओवैसी की राजनीति केवल एक रणनीति है या फिर उनका यह विरोध किसी बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेतहै।
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