Saranda Martyr: नक्सलियों से लोहा लेते जवान को सांप ने डंसा, इलाज के दौरान मौत
पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान कोबरा बटालियन-209 के कांस्टेबल संदीप कुमार की सर्पदंश से मौत। उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले जवान के निधन से शोक की लहर। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले से एक अत्यंत दुखद खबर सामने आई है। सारंडा के घने जंगलों में नक्सलियों से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार एक बहादुर जवान की मौत ड्यूटी के दौरान दुश्मन की गोली से नहीं, बल्कि जंगल के एक और बड़े खतरे सर्पदंश से हो गई। यह घटना एक बार फिर उन मुश्किलों को सामने लाती है, जिनका सामना नक्सल विरोधी अभियान में जुटे हमारे जवान हर पल करते हैं।
झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित सारंडा जंगल, जिसे 'एशिया का सबसे घना जंगल' भी कहा जाता है, दशकों से माओवादियों का गढ़ रहा है। यहां के दुर्गम रास्ते, घनी वनस्पति और जंगली जानवर हमेशा से सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती रहे हैं। जवान यहां न केवल छिपे हुए नक्सलियों से लड़ते हैं, बल्कि प्रकृति के कठोर और जानलेवा खतरों से भी जूझते हैं। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जंगलों में ड्यूटी कितनी जोखिम भरी होती है, जहां नक्सली और जहरीले जीव दोनों घात लगाए बैठे होते हैं।
नक्सलियों के गढ़ में सर्पदंश
यह हृदय विदारक घटना मंगलवार 30 सितंबर 2025 की रात 9:00 बजे के आसपास छोटानागरा थाना क्षेत्र के नूरधा जंगल में हुई। यहां कोबरा बटालियन-209 के कांस्टेबल संदीप कुमार नक्सल विरोधी अभियान में शामिल थे। अभियान के दौरान ही उन्हें किसी जहरीले सांप ने काट लिया।
सांप के काटने के तुरंत बाद जवान को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए गए। उन्हें तत्काल किरीबुरू स्थित सेल (SAIL) के अस्पताल ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए कहीं और भेजने की तैयारी चल रही थी, लेकिन दुर्भाग्यवश, जहर तेजी से उनके पूरे शरीर में फैल गया। इलाज के दौरान ही जवान संदीप कुमार ने दम तोड़ दिया।
पूरे बल में शोक की लहर
संदीप कुमार उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले थे। उनकी मौत की खबर सुनते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में शोक की लहर दौड़ गई। अधिकारियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसे पूरे बल के लिए एक बड़ी क्षति बताया।
अधिकारियों ने बताया कि नक्सल अभियान के दौरान जवानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह घटना इस बात को दर्शाती है कि जंगल में ड्यूटी कितनी जोखिम भरी है, जहां उन्हें हर कदम पर नक्सलियों के साथ-साथ सांपों और अन्य जंगली जानवरों के हमलों का भी खतरा होता है।
अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि पोस्टमार्टम के बाद संदीप कुमार के पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद जवान के परिवार को सरकार की ओर से मिलने वाली सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
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