Rajngar Roadblock: कोलाबाड़िया में खून के चिथड़े उड़े! तेज रफ़्तार हाइवा ने बुजुर्ग संतोष महंती को रौंदा, ग्रामीणों का आक्रोश फूटा, छेलकानी के पास ड्राइवर को दबोचा, मुआवजे की मांग पर टायर जलाकर प्रदर्शन, शव उठाने से इंकार!
राजनगर थाना क्षेत्र के कोलाबाड़िया गांव में एक तेज रफ़्तार हाइवा ने 63 वर्षीय बुजुर्ग संतोष महंती को टक्कर मारकर मौत के घाट उतार दिया। हादसे के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने ड्राइवर को पकड़ लिया और सड़क पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे गाड़ी मालिक को बुलाने और उचित मुआवजे की मांग पर अड़े हुए हैं।
सड़कें सिर्फ विकास का रास्ता नहीं होतीं, बल्कि अक्सर वे असमय मौत की गवाह भी बनती हैं। झारखंड में तेज रफ़्तार और असुरक्षित ढंग से चलाए जाने वाले हाइवा और अन्य भारी वाहन लगातार स्थानीय लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। राजनगर थाना क्षेत्र के कोलाबाड़िया गांव में आज दोपहर करीब 3 बजे हुई एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके में आक्रोश की आग भड़का दी है। यह हादसा केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन और वाहनों के मालिकों की जवाबदेही पर एक गंभीर सवाल है।
भारतीय इतिहास में तेज औद्योगिक विकास के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं की वृद्धि एक दर्दनाक सच्चाई रही है। झारखंड जैसे खनन प्रधान राज्यों में अक्सर भारी वाहनों की मनमानी देखी जाती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन का खतरा बना रहता है। कोलाबाड़िया के 63 वर्षीय संतोष महंती की मौत एक बार फिर इस बात को दर्शाती है कि कानून का डर और सुरक्षा मानक जमीनी स्तर पर पूरी तरह से फेल हो चुके हैं।
हाइवा ने बुजुर्ग को रौंदा, शव के चिथड़े उड़े
सोमवार दोपहर को संतोष महंती, जो कोलाबाड़िया गांव के निवासी थे, अपने गांव के नीचे टोला की ओर से पैदल अपने घर लौट रहे थे। तभी एक तेज रफ़्तार हाइवा ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी।
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मौके पर ही दर्दनाक मौत: हादसा इतना भयावह था कि बुजुर्ग संतोष महंती की मौके पर ही मौत हो गई और शव के चिथड़े उड़ गए।
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चालक को दबोचा: हादसे के बाद हाइवा चालक भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों ने तुरंत उसका पीछा किया और छेलकानी के पास उसे पकड़ लिया।
सड़क पर शव, टायर जलाकर प्रदर्शन
घटना की सूचना मिलते ही राजनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने किसी तरह ग्रामीणों को शांत कराया और चालक को भीड़ के गुस्से से बचाकर अपने कब्जे में लिया।
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मुआवजे की मांग: ग्रामीण और पीड़ित परिवार शव को उठाने नहीं दे रहे हैं। उनकी सीधी मांग है कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता, तब तक वे सड़क जाम रखेंगे।
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मालिक को बुलाने की जिद: थाना प्रभारी चंचल कुमार ने उचित मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीण और पीड़ित परिवार गाड़ी मालिक को खुद घटनास्थल पर बुलाने पर अड़े हुए हैं। उनका मानना है कि केवल ड्राइवर पर कार्रवाई से काम नहीं चलेगा।
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सड़क जाम: समाचार लिखे जाने तक बुजुर्ग का शव सड़क पर ही पड़ा था और आक्रोशित ग्रामीण सड़क के बीच टायर जलाकर अपना विरोध जता रहे थे। इससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।
पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है और गाड़ी मालिक से संपर्क स्थापित करने का प्रयास जारी है ताकि ग्रामीणों के गुस्से को शांत किया जा सके और न्याय की प्रक्रिया शुरू हो सके।
आपकी राय में, सड़क दुर्घटनाओं में तत्काल मुआवजा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस और परिवहन विभाग को कौन से दो सबसे तेज और पारदर्शी प्रक्रियात्मक सुधार करने चाहिए?
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