Potka Elephant Tragedy: जंगल में लापता बैल की तलाश में गया शख्स, वापस लौटा तो मौत बनकर टूटा हाथी!
झारखंड के पोटका में जंगल गए शख्स की हाथी के हमले में मौत, गांव में दहशत। वन विभाग ने 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी। प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग।

पोटका: झारखंड के पोटका थाना क्षेत्र के ग्वालकाटा पंचायत के बलियागोडा गांव में गुरुवार सुबह ऐसी घटना हुई, जिसने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया। 53 वर्षीय दुर्गा कुदादा अपने लापता बैल को खोजने के लिए जंगल गया था, लेकिन वहां से उसकी वापसी कभी नहीं हुई। जंगल में मौजूद हाथी ने उस पर हमला कर दिया, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
बैल की तलाश में गया, फिर नहीं लौटा
ग्रामीणों के अनुसार, दुर्गा कुदादा का बैल बुधवार शाम घर नहीं लौटा था। अगली सुबह लगभग सात बजे वह बैल को खोजने के लिए जंगल की ओर गया। लेकिन वहां पहले से मौजूद एक हाथी ने उसे देख लिया और हमला कर दिया। कुछ ही पलों में पूरा गांव शोक में डूब गया, जब उसकी मौत की खबर फैली।
गांव में फैली दहशत, वन विभाग से मदद की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने तुरंत पोटका पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने दुर्गा कुदादा के परिवार को श्राद्धकर्म के लिए 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर भेज दिया।
झारखंड में बढ़ता मानव-हाथी संघर्ष, क्यों हो रही ऐसी घटनाएं?
झारखंड में इंसानों और हाथियों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों की कटाई, चारागाहों की कमी और इंसानी बस्तियों के विस्तार के कारण हाथी अब भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं। पोटका क्षेत्र पहले भी इस समस्या से जूझ चुका है, जहां हाथी कई बार फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा चुके हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
गांव के लोग अब डर में जी रहे हैं। एक ग्रामीण ने बताया, "हर साल हम यह समस्या झेलते हैं, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं हो रहा। हाथी लगातार हमारे गांवों में घुस आते हैं, कभी फसलें बर्बाद करते हैं तो कभी घर तोड़ देते हैं। अब तो जान तक जाने लगी है।"
वन विभाग से स्थायी समाधान की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को अब केवल मुआवजा देने से आगे बढ़कर स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है। हाथियों को संरक्षित क्षेत्रों तक सीमित रखने के लिए नए उपाय किए जाने चाहिए। वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही हाथी प्रभावित इलाकों में विशेष निगरानी बढ़ाई जाएगी और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
यह घटना सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि झारखंड में तेजी से बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष का एक और उदाहरण है। प्रशासन और वन विभाग को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
What's Your Reaction?






