Peepalsana Celebration: गंगा-जमुनी तहज़ीब के रंग में सजा मुशायरा और कवि सम्मेलन
पीपलसाना में फराज़ एकेडमी द्वारा आयोजित मुशायरा और कवि सम्मेलन में शायरों और कवियों ने गंगा-जमुनी तहज़ीब और अमन का संदेश देते हुए अपनी ग़ज़लों और कविताओं से समां बांध दिया।
पीपलसाना, 25 नवंबर 2024: गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक और साहित्यिक आयोजनों का केंद्र पीपलसाना, सोमवार को फराज़ एकेडमी में आयोजित मुशायरा और कवि सम्मेलन का गवाह बना। इस भव्य आयोजन में देशभर से आए मशहूर शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं से न केवल श्रोताओं का दिल जीता, बल्कि अमन, भाईचारे और एकता का संदेश भी दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत नातिया कलाम और सरस्वती वंदना से हुई, जिसे फरहत अली फरहत और सत्यवती सिंह सत्या ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि और शायर विनय सागर जायसवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। आयोजन में विभिन्न शायरों और कवियों ने अपने दिलकश कलाम से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गंगा-जमुनी तहज़ीब का महत्व
भारत सदियों से गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक रहा है, जहां विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का संगम होता है। ऐसे आयोजनों के जरिए यह सांस्कृतिक धरोहर और भी मजबूत होती है। फराज़ एकेडमी का यह सम्मेलन न केवल साहित्य प्रेमियों को एकजुट करता है, बल्कि समाज में अमन और शांति का संदेश भी फैलाता है।
शायरों और कवियों का जलवा
शायर विनय सागर जायसवाल ने अपनी ग़ज़ल से लोगों को मोह लिया:
“मेरे कदम जो रोके हवाओं में दम नहीं,
मैं घर से आज निकला हूं मां की दुआ के साथ।”
सरफराज़ हुसैन फराज़ ने अमन का संदेश देते हुए कहा:
“या खुदा महफूज रखना आशियाने को मेरे,
वो गिराते फिर रहे हैं शहर भर में बिजलियां।”
सत्यवती सिंह सत्या ने अपनी पंक्तियों में वर्तमान हालातों का जिक्र किया:
“जो भी होना है आम हो जाए,
अब तो किस्सा तमाम हो जाए।”
नफीस पाशा मुरादाबादी ने मां की दुआ को सलाम करते हुए कहा:
“मैं हूं खुश नसीब साहब न मुझे हरा सकोगे,
मेरी मां की मेरे यारो मेरे पास हैं दुआएं।”
साहित्यिक धरोहर का जश्न
कार्यक्रम में विभिन्न शायरों ने ग़ज़ल, नज़्म और कविताओं के माध्यम से समसामयिक मुद्दों पर प्रकाश डाला। कवियों ने सामाजिक विषमताओं और इंसानियत के महत्व पर जोर दिया।
रामकुमार अफ़रोज़ ने कहा:
“आदमियत के विषय में बोलने से पेशतर,
आदमी को दर्द का अहसास होना चाहिए।”
राम प्रकाश सिंह ओज ने समाज में सकारात्मकता फैलाने की बात कही:
“सबके ही दुख-दर्द में मुझे बहना पसंद है,
कड़वे नहीं बोल, मीठे कहना पसंद है।”
ग़ज़ल संग्रह का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान शायर तहसीन मुरादाबादी के ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल पाठशाला का लोकार्पण भी किया गया। इस पुस्तक को साहित्यिक जगत में नई दिशा देने वाला बताया गया।
अमन और भाईचारे का संदेश
इस आयोजन ने श्रोताओं के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। आयोजक फराज़ एकेडमी और उपस्थित शायरों ने यह सिद्ध कर दिया कि साहित्य के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
फराज़ एकेडमी का यह आयोजन केवल एक साहित्यिक सम्मेलन नहीं था, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब और अमन का जश्न था। शायरों और कवियों ने अपने रचनाओं से यह संदेश दिया कि हमारी सांस्कृतिक एकता ही हमारे समाज की सबसे बड़ी ताकत है।
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