Patna Shocker: 12 साल की बच्ची से 35 साल के शख्स की शादी रोकी
पटना के फुलवारीशरीफ में पुलिस ने 12 साल की बच्ची का बाल विवाह रोककर बड़ा कदम उठाया। बच्ची की बहन की शिकायत पर पुलिस ने हस्तक्षेप कर शादी रुकवाई।
पटना के फुलवारीशरीफ से शुक्रवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। मात्र 12 साल की बच्ची, जो कक्षा 5 में पढ़ती है, का विवाह 35 साल के व्यक्ति से कराया जा रहा था। शादी की सभी तैयारियां हो चुकी थीं। मेहंदी की रस्में पूरी हो गई थीं, और अगले दिन बारात आने वाली थी। लेकिन सात फेरों से पहले ही महिला थाने की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इस बाल विवाह को रोक दिया।
शिकायत से शुरू हुई कार्रवाई
यह शादी शनिवार, 16 नवंबर को होनी थी। बच्ची की बड़ी बहन ने महिला थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उसने बताया कि लड़का उनके घर पर जबरदस्ती रुका हुआ है और परिवार पर शादी का दबाव बना रहा है।
महिला पुलिस ने तुरंत हरकत में आकर बच्ची के घर पहुंचकर शादी रुकवाई। बच्ची के माता-पिता से बांड भरवाया गया कि जब तक बच्ची 18 साल की नहीं हो जाती, तब तक उसकी शादी नहीं करेंगे।
कानूनी पहलू और बाल विवाह का विरोध
भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों और अशिक्षित परिवारों में यह प्रथा अभी भी देखने को मिलती है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि ने बढ़ाई समस्या
पुलिस जांच में सामने आया कि पहले इस बच्ची की बड़ी बहन की शादी इसी लड़के से तय हुई थी। लेकिन उसने किसी और से प्रेम-विवाह कर लिया। इसके बाद लड़के के परिवार ने बच्ची के माता-पिता पर दबाव डालकर उसकी छोटी बहन से शादी कराने की योजना बनाई।
दूल्हा बीते 15 दिनों से बच्ची के घर में रुका हुआ था और डरा-धमका कर परिवार को इस विवाह के लिए तैयार कर रहा था।
समाज में जागरूकता की कमी
यह घटना बिहार में बढ़ती सामाजिक समस्याओं को उजागर करती है। अशिक्षा और सामाजिक दबाव के कारण परिवार इस प्रकार के गैरकानूनी और अनैतिक फैसले लेने को मजबूर हो जाते हैं।
बाल विवाह की जड़ें: एक ऐतिहासिक झलक
भारत में बाल विवाह एक पुरानी प्रथा है। मध्यकाल में यह लड़कियों की सुरक्षा और उनकी 'इज्जत' बचाने के नाम पर शुरू हुआ। लेकिन आधुनिक समाज में यह न केवल बच्चों के अधिकारों का हनन है, बल्कि उनके भविष्य पर भी सवाल खड़ा करता है।
महिला पुलिस की सराहनीय कार्रवाई
महिला पुलिस की तत्परता ने एक मासूम बच्ची का भविष्य बर्बाद होने से बचा लिया। यह घटना बिहार पुलिस की सक्रियता का उदाहरण है।
सवाल जो उठते हैं
- क्या इस बाल विवाह को रोकने के बाद दूल्हे और उसके परिवार पर कानूनी कार्रवाई होगी?
- ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को और क्या कदम उठाने चाहिए?
- क्या समाज में बाल विवाह को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है?
यह घटना सिर्फ एक बच्ची का बाल विवाह रोकने तक सीमित नहीं है। यह समाज को यह संदेश देती है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है। बच्चों को शिक्षा और एक सुरक्षित भविष्य देने के लिए हर परिवार और प्रशासन को जिम्मेदारी उठानी होगी।
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