पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि: रिकॉर्ड 29 पदक, लेकिन पूजा ओझा की कमी खली

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने 29 पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया, लेकिन पूजा ओझा की कमी के कारण भारत का सफर समाप्त हो गया। जानिए कैसे भारत ने इस बार की ऐतिहासिक उपलब्धि और क्या कहा भारतीय दल ने।

Sep 8, 2024 - 19:13
Sep 8, 2024 - 19:22
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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि: रिकॉर्ड 29 पदक, लेकिन पूजा ओझा की कमी खली
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि: रिकॉर्ड 29 पदक, लेकिन पूजा ओझा की कमी खली

पेरिस, 8 सितंबर 2024 - पेरिस पैरालंपिक 2024 के समापन के साथ ही भारतीय दल का इस टूर्नामेंट में सफर समाप्त हो गया है। रविवार को आयोजित पैरा कैनो की वूमेन्स 200 मीटर एकल केएल-1 स्पर्धा के सेमीफाइनल में भारतीय खिलाड़ी पूजा ओझा चौथे स्थान पर रहीं और फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकीं। उन्होंने 1:17.23 के समय के साथ इस स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल किया।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भारतीय दल ने इस बार रिकॉर्ड 29 पदक जीते हैं, जिसमें 7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य शामिल हैं। यह प्रदर्शन भारत के लिए अब तक का सबसे अच्छा है और इसके साथ ही पुराने रिकॉर्ड्स ध्वस्त हो गए हैं।

इससे पहले, भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टोक्यो पैरालंपिक 2020 में था, जहां भारत ने 5 स्वर्ण, 8 रजत और 6 कांस्य समेत कुल 19 पदक जीते थे। इस बार भारत ने 84 एथलीटों का सबसे बड़ा दल भेजा था।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों ने पैरा एथलेटिक्स में सबसे ज्यादा 17 पदक जीते, जिनमें 4 स्वर्ण शामिल हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर पैरा बैडमिंटन रहा, जहां भारत ने 1 स्वर्ण समेत 5 पदक जीते। पैरा शूटिंग में 1 स्वर्ण समेत 4 पदक, पैरा आर्चरी में 1 स्वर्ण समेत 2 पदक और पैरा जूडो में 1 कांस्य पदक प्राप्त हुआ।

पेरिस पैरालंपिक में भारत का पहला स्वर्ण पदक स्टार शूटर अवनि लेखरा ने जीता, इसके बाद नितेश कुमार (पैरा बैडमिंटन), सुमित अंतिल (पैरा एथलेटिक्स), हरविंदर सिंह (पैरा तीरंदाजी), धर्मबीर (पैरा एथलेटिक्स), प्रवीण कुमार (पैरा एथलेटिक्स), और नवदीप सिंह (पैरा एथलेटिक्स) ने भी स्वर्ण पदक जीते।

इस बार भारतीय दल का प्रदर्शन न केवल प्रेरणादायक है बल्कि यह पैरालंपिक इतिहास में एक नई ऊँचाई की ओर इशारा करता है। हालांकि, पूजा ओझा की कमी ने कुछ निराशा पैदा की, लेकिन भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व किया जा सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।