मोदी कैबिनेट ने कोविंद की अध्यक्षता वाली 'वन नेशन, वन इलेक्शन' रिपोर्ट को मंजूरी दी, शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल
मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रस्ताव को मंजूरी दी, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने का लक्ष्य रखता है। शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक राष्ट्र, एक चुनाव) पर बनी उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी। यह रिपोर्ट लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही समय पर कराने की सिफारिश करती है। रिपोर्ट को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया, जिसके बाद इसे मंजूरी मिल गई है। अब इस मुद्दे पर एक विधेयक शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।
'वन नेशन, वन इलेक्शन' के उद्देश्य
'वन नेशन, वन इलेक्शन' का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करना है, जिससे संसाधनों की बचत हो सके और विकास की गति को तेज किया जा सके। साथ ही, यह प्रस्ताव सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में भी कदम है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहल "इंडिया, दैट इज भारत" की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद करेगी।
रिपोर्ट में क्या हैं सिफारिशें?
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं और पंचायतों) के चुनावों को एक ही समय पर आयोजित करना। इसके लिए एक कार्यान्वयन समूह (Implementation Group) की स्थापना की भी सिफारिश की गई है, जो इन सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नज़र रखेगा।
समान मतदाता सूची और वोटर आईडी कार्ड
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग मिलकर एक समान मतदाता सूची और एकल वोटर आईडी कार्ड तैयार करें। फिलहाल, लोकसभा और विधानसभा चुनावों की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है, जबकि स्थानीय निकायों के चुनाव राज्य चुनाव आयोग कराते हैं। इस प्रक्रिया को आसान और समान बनाने के लिए एकल प्रणाली की बात की गई है।
संवैधानिक संशोधन
रिपोर्ट में 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की गई है, जिनमें से अधिकांश संशोधन संसद में पारित होने के बाद लागू हो सकते हैं। हालांकि, कुछ प्रस्तावित बदलावों के लिए राज्यों की विधानसभाओं से भी अनुमोदन की आवश्यकता होगी। इन बदलावों में समान मतदाता सूची और वोटर आईडी कार्ड से संबंधित प्रस्ताव शामिल हैं, जिन्हें कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी लेनी होगी।
कानून आयोग की रिपोर्ट भी जल्द
इसके अलावा, कानून आयोग भी जल्द ही एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है, जिसमें एक साथ चुनावों के आयोजन पर अपने सुझाव दिए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, कानून आयोग 2029 से शुरू होने वाले लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की सिफारिश कर सकता है। साथ ही, आयोग यह भी सिफारिश कर सकता है कि हंग असेंबली या अविश्वास प्रस्ताव जैसी परिस्थितियों में एकता सरकार का प्रावधान हो।
शीतकालीन सत्र में विधेयक
'वन नेशन, वन इलेक्शन' का विधेयक शीतकालीन सत्र में संसद में पेश होने की उम्मीद है। अगर इस विधेयक को पारित किया जाता है, तो यह देश की चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इससे न केवल देश के संसाधनों की बचत होगी, बल्कि विकास कार्यों की गति को भी बनाए रखा जा सकेगा।
'वन नेशन, वन इलेक्शन' का प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाएगा बल्कि देश के विकास और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देगा। इसके लागू होने के बाद देश में हर स्तर के चुनावों को एक साथ कराने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।
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