Jharkhand Alert: झारखंड में डायबिटीज के मरीज रहें सावधान! आंखों की रोशनी पर बढ़ता खतरा
झारखंड में हाई डायबिटीज मरीजों के लिए खतरे की घंटी! अनियंत्रित शुगर से डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा बढ़ रहा है, जिससे आंखों की रोशनी तक जा सकती है। जानें पूरी रिपोर्ट।

अगर आप झारखंड में रहते हैं और डायबिटीज के मरीज हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है!
राज्य में हाई शुगर लेवल वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके चलते डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है और अगर समय पर इलाज न मिले, तो मरीज पूरी तरह से अंधेपन का शिकार हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड में 10.6% लोगों का रेटिना खतरे में है!
कितने लोग हैं खतरे में? आंकड़े कर देंगे हैरान!
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार:
6.4% पुरुष और 4.2% महिलाएं हाई ब्लड शुगर से जूझ रहे हैं।
14.1% पुरुष और 10.2% महिलाएं डायबिटीज की दवाएं लेने को मजबूर हैं।
जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है, उनमें से कई की आंखों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि झारखंड में डायबिटीज सिर्फ एक 'मीठा जहर' नहीं, बल्कि अब यह अंधेपन की एक बड़ी वजह भी बनती जा रही है!
क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी?
जब डायबिटीज लंबे समय तक अनियंत्रित रहता है, तो यह आंखों की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है और रेटिना (आंख के पीछे की परत) में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।
शुरुआती लक्षण: धुंधला दिखना, अंधेरे में कम दिखना, आंखों के आगे काले धब्बे आना।
गंभीर स्थिति: आंखों में ब्लीडिंग, तेज सिरदर्द और स्थायी अंधापन।
झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (RIMS) में हर दिन 10-12 मरीज इस बीमारी का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इनमें से तीन से चार मरीजों को सर्जरी की जरूरत पड़ रही है।
क्या हो रहा है इलाज?
रिम्स के नेत्र विभाग में डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीजों को अलग-अलग तरीकों से इलाज दिया जा रहा है:
हल्के मामलों में: सिर्फ दवा और रेगुलर चेकअप से सुधार किया जा रहा है।
मध्यम मामलों में: लेजर ट्रीटमेंट और आंखों में दवा की सूई लगाई जा रही है।
गंभीर मामलों में: जिनकी आंखों में ब्लीडिंग हो चुकी है, उनकी इमरजेंसी सर्जरी की जा रही है।
क्यों बढ़ रहा है डायबिटीज और आंखों की बीमारी का खतरा?
फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन।
लाइफस्टाइल में फिजिकल एक्टिविटी की कमी।
नियमित ब्लड शुगर टेस्ट न करवाना।
दवाओं का सही तरीके से इस्तेमाल न करना।
अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
बचाव के लिए क्या करें?
हर 6 महीने में आंखों की जांच करवाएं।
ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें।
शराब और धूम्रपान से दूर रहें।
डाइट में हरी सब्जियां, फल और कम शुगर वाले फूड्स शामिल करें।
रात में देर तक मोबाइल स्क्रीन पर न रहें, इससे आंखों पर दोगुना असर पड़ता है।
झारखंड में क्यों बढ़ रही है यह बीमारी?
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी - दूरदराज के इलाकों में लोग समय पर जांच नहीं करवा पा रहे हैं।
खराब खान-पान और बदलती जीवनशैली - अनहेल्दी डाइट और शारीरिक गतिविधियों की कमी बड़ा कारण है।
समय पर इलाज न लेना - लोगों को जब आंखों में हल्का धुंधलापन महसूस होता है, तब भी वे डॉक्टर के पास नहीं जाते।
अब सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि झारखंड में डायबिटीज मरीजों के लिए विशेष स्वास्थ्य अभियान चलाया जाना चाहिए? ????
अगर आप या आपके परिवार में कोई डायबिटीज से पीड़ित है, तो तुरंत आंखों की जांच करवाएं! इस खबर को शेयर करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो सकें!
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