Jamtara Murder: पत्नी ने क्यों उतार दिया पति का खून, मोबाइल और पैसों की मांग बनी वजह?
झारखंड के जामताड़ा में पत्नी ने अपने पति की चाकू मारकर हत्या कर दी। विवाद मोबाइल और पैसों को लेकर हुआ था। जानें पूरी घटना, पुलिस कार्रवाई और इस तरह के मामलों का इतिहास।
जामताड़ा : झारखंड का जामताड़ा जिला रविवार की रात एक सनसनीखेज वारदात का गवाह बना। मिहिजाम थाना क्षेत्र के पाइपलाइन इलाके में एक महिला ने अपने ही पति की घर के भीतर चाकू से हत्या कर दी।
मृतक की पहचान 40 वर्षीय महावीर यादव के रूप में हुई है, जो मूल रूप से बिहार का रहने वाला था लेकिन कई वर्षों से अपने परिवार के साथ मिहिजाम में रह रहा था।
विवाद किस बात पर हुआ?
पुलिस के अनुसार, घटना की जड़ में मोबाइल फोन और पैसों का विवाद था। रात को महावीर यादव और उनकी पत्नी काजल देवी के बीच कहासुनी हुई। काजल ने पति से मोबाइल और पैसे मांगे। पहले यह एक सामान्य बहस की तरह शुरू हुआ लेकिन कुछ ही देर में माहौल गरमा गया। गुस्से में आकर काजल ने चाकू उठाया और महावीर पर हमला कर दिया।
मौके पर ही मौत
गंभीर रूप से घायल महावीर की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की खबर फैलते ही इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और काजल देवी को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया गया।
एसडीपीओ विकास ने जानकारी दी कि हत्या में इस्तेमाल चाकू बरामद कर लिया गया है और काजल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
स्थानीय लोगों में दहशत
घटना के बाद से पाइपलाइन क्षेत्र में दहशत और चर्चा का माहौल है। लोग हैरान हैं कि एक साधारण विवाद कैसे हत्या में बदल गया। पड़ोसियों के मुताबिक, दंपत्ति के बीच पहले भी झगड़े होते थे, लेकिन इस बार मामला इतना बिगड़ जाएगा, यह किसी ने नहीं सोचा था।
इतिहास उठाकर देखें
पति-पत्नी के बीच विवाद से हत्या का यह मामला जामताड़ा में नया नहीं है।
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2019 में नारायणपुर थाना क्षेत्र में एक महिला ने संपत्ति विवाद को लेकर पति की हत्या कर दी थी।
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2022 में मिहिजाम इलाके में ही एक पति ने पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी थी।
झारखंड के ग्रामीण और शहरी इलाकों में पारिवारिक कलह से होने वाली हत्याएँ लगातार बढ़ती चिंता का कारण बनी हुई हैं। सामाजिक विशेषज्ञ मानते हैं कि तनाव, आर्थिक दबाव और संचार की कमी ऐसे मामलों को जन्म देते हैं।
पुलिस की चुनौतियाँ
ऐसे मामलों में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है – अपराध की जड़ तक पहुँचना। अक्सर ये मामले अचानक भड़क उठते हैं, जिसमें कोई पूर्व-योजना नहीं होती। ऐसे अपराधों को रोकना मुश्किल होता है, लेकिन समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाना और परिवारों को काउंसलिंग देना ज़रूरी है।
सवाल अब भी कायम
मिहिजाम की यह घटना फिर से बड़ा सवाल खड़ा करती है –
क्या छोटी-छोटी बहसें अब खूनखराबे का रूप ले रही हैं?
क्या समाज में धैर्य और संवाद की जगह हिंसा ने ले ली है?
और सबसे अहम – क्या झारखंड प्रशासन ऐसे मामलों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा पाएगा?
महावीर यादव की हत्या ने पूरे जामताड़ा को हिलाकर रख दिया है। यह सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि पारिवारिक तनाव और सामाजिक विघटन का आईना है।
जामताड़ा की यह वारदात एक चेतावनी है कि छोटी सी बहस भी कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। यह मामला आने वाले दिनों में कानूनी कार्यवाही और न्यायालय में अपनी दिशा लेगा, लेकिन समाज के लिए यह गहरी सीख है कि संवाद की कमी और गुस्से का परिणाम कितना खतरनाक हो सकता है।
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