Jamshedpur Tragedy : खेत में काम कर रही महिला पर वज्रपात, गांव में पसरा मातम
जमशेदपुर के मालियानता गांव में खेत में काम कर रही महिला की वज्रपात की चपेट में आने से मौत हो गई। चार बच्चों की मां की इस दर्दनाक घटना से गांव में मातम छा गया।

जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों से एक दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। MGM थाना क्षेत्र के मालियानता गांव में सोमवार शाम खेत में काम कर रही एक महिला की मौत वज्रपात की चपेट में आने से हो गई। मृतका की पहचान 50 वर्षीय मालती सिंह के रूप में की गई है।
हादसा कैसे हुआ?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सोमवार की शाम मालती सिंह अपने पति के साथ खेत में धान की रोपाई का काम कर रही थीं। मौसम अचानक बदला, काले बादल छा गए और तेज़ बारिश शुरू हो गई। लोग जैसे-तैसे खेत से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, तभी जोरदार वज्रपात हुआ और उसकी चपेट में मालती सिंह आ गईं।
बिजली गिरते ही खेत में अफरा-तफरी मच गई। मालती सिंह वहीं गिर पड़ीं और गंभीर रूप से घायल हो गईं।
अस्पताल ले जाते ही टूटा सपना
ग्रामीण और परिजन उन्हें तुरंत एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मालती सिंह के चार बच्चे हैं। अचानक हुए इस हादसे ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। पति और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर एमजीएम अस्पताल के शीतगृह में रखवा दिया। पुलिस ने बताया कि मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। इधर, गांव में इस हादसे से मातम पसरा हुआ है।
वज्रपात: झारखंड की पुरानी त्रासदी
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड में वज्रपात से मौत हुई हो। राज्य के कई जिलों में हर साल बरसात के मौसम में ऐसी घटनाएं दर्ज होती हैं।
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2016 में झारखंड के विभिन्न जिलों में 24 घंटे के भीतर 30 से अधिक लोगों की मौत वज्रपात से हुई थी।
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2020 में सिर्फ जून और जुलाई महीनों में राज्य में करीब 100 लोगों की जान गई।
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मौसम विभाग का कहना है कि झारखंड का भौगोलिक ढांचा और खुले मैदान इस क्षेत्र को बिजली गिरने के लिहाज से बेहद संवेदनशील बनाते हैं।
क्यों होती हैं इतनी मौतें?
विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में लोग अधिकतर खेतों या खुले मैदानों में काम करते हैं। ऐसे में अचानक मौसम बदलने पर उनके पास सुरक्षित आश्रय लेने का विकल्प नहीं होता।
झारखंड आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार—
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बिजली गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं दोपहर और शाम के समय होती हैं।
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खेत, ऊंचे पेड़ और खुले मैदान वज्रपात की सबसे बड़ी चपेट में आते हैं।
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लोगों में जागरूकता की कमी भी इन हादसों को बढ़ाती है।
सरकार और बचाव उपाय
राज्य सरकार समय-समय पर वज्रपात से बचाव के लिए सावधानी बरतने की गाइडलाइन जारी करती है।
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आंधी-तूफान और बारिश के समय खुले मैदान या खेत में काम न करें।
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पेड़ या खंभों के नीचे न खड़े हों।
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मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कम करें।
हालांकि, ग्रामीण इलाकों में इन दिशानिर्देशों का पालन कर पाना हमेशा आसान नहीं होता।
गांव में मातम और लोगों की चिंता
मालियानता गांव में इस हादसे से शोक की लहर है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को ऐसे पीड़ित परिवारों को तुरंत मुआवजा देना चाहिए। साथ ही, गांवों में लाइटनिंग अलर्ट सिस्टम लगाया जाए ताकि लोग समय रहते सावधान हो सकें।
मालती सिंह की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि यह याद दिलाती है कि झारखंड जैसे राज्यों में वज्रपात आज भी मौत का बड़ा कारण है। हर साल सैकड़ों परिवार इस त्रासदी का शिकार होते हैं। सवाल यही है—क्या तकनीक और जागरूकता मिलकर आने वाले दिनों में इन मौतों को रोक पाएंगे?
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