Jamshedpur Roti Bank: सर्दी में ठिठुरते मरीजों के परिजनों को मिले कंबल, रोटी बैंक का बड़ा योगदान

जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में रोटी बैंक चैरिटेबल ट्रस्ट ने सर्दी में ठिठुरते मरीजों के परिजनों को कंबल बांटे। जानें इस पहल के बारे में और रोटी बैंक की 10 साल की यात्रा के बारे में।

Dec 20, 2024 - 12:50
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Jamshedpur Roti Bank: सर्दी में ठिठुरते मरीजों के परिजनों को मिले कंबल, रोटी बैंक का बड़ा योगदान
Jamshedpur Roti Bank: सर्दी में ठिठुरते मरीजों के परिजनों को मिले कंबल, रोटी बैंक का बड़ा योगदान

सर्दी की ठिठुरन से जूझ रहे जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में एक नई उम्मीद जगी, जब रोटी बैंक चैरिटेबल ट्रस्ट ने अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के बीच कंबल बांटे। इस नेक पहल के दौरान ट्रस्ट के चेयरमेन मनोज मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों गरीब और जरूरतमंद मरीजों के अटेंडरों को कंबल वितरित किए गए। यह वितरण कार्यक्रम अस्पताल के विभिन्न विभागों में आयोजित किया गया, जहां दूर-दराज से आए मरीजों के परिजनों को राहत मिली।

रोटी बैंक का 10 साल का इतिहास

रोटी बैंक चैरिटेबल ट्रस्ट पिछले एक दशक से जरूरतमंदों की मदद कर रहा है। ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य अस्पतालों और अन्य जगहों पर लोगों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराना है। विगत 10 वर्षों से यह संगठन अपने सामाजिक कार्यों के माध्यम से सैकड़ों लोगों की मदद कर चुका है। इस बार, रोटी बैंक ने सर्दी के मौसम में उन मरीजों के अटेंडरों के लिए यह पहल शुरू की, जो एमजीएम अस्पताल में इलाज के लिए आए थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही थी।

मरीजों के अटेंडरों की मुश्किलें

मनोज मिश्रा ने इस पहल की आवश्यकता को समझते हुए बताया, "एमजीएम अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीज झारखंड के साथ-साथ ओडिशा और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों से होते हैं। इन मरीजों के साथ उनके परिवार के लोग भी आते हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल होते हैं। अस्पताल केवल मरीजों को ही कंबल प्रदान करता है, लेकिन इन परिवारों को ठंड में खुले आसमान के नीचे ठिठुरना पड़ता है।"

यही कारण है कि रोटी बैंक ने इन मरीजों के परिजनों के लिए कंबल बांटने का निर्णय लिया। इस पहल से न केवल इन लोगों को राहत मिली, बल्कि यह एक सशक्त संदेश भी था कि समाज में लोगों की मदद के लिए कदम उठाना कितना जरूरी है।

सर्दी से राहत देने की एक छोटी सी कोशिश

रोटी बैंक के इस कदम ने अस्पताल में ठंड से परेशान सैकड़ों लोगों को राहत दी। कार्यक्रम में रोटी बैंक के सदस्यों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिनमें नवीन, आशा, रेणु सिंह, अनीमा दास, सलावत महतो, देवशीष दास, निभा शुक्ला, ऋषि गुप्ता और कई अन्य सदस्य शामिल थे। ट्रस्ट के सदस्य अस्पताल में घूम-घूम कर कंबल बांट रहे थे, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोग इससे लाभान्वित हो सके।

कैसे सर्दी में राहत मिल रही है?

यह कार्यक्रम केवल कंबल वितरण तक ही सीमित नहीं था। रोटी बैंक द्वारा हर साल सर्दियों में ऐसी कई सामाजिक पहलों का आयोजन किया जाता है। इसका उद्देश्य न केवल अस्पतालों, बल्कि शरणार्थी शिविरों और अन्य जरूरतमंद स्थानों पर भी लोगों तक राहत पहुंचाना है। ठंड में उन लोगों के लिए कंबल वितरण बहुत बड़ा सहारा बन जाता है, जो अपनी दिनचर्या के दौरान ठंड से जूझ रहे होते हैं।

रोटी बैंक की बढ़ती भूमिका

रोटी बैंक की यह पहल एक उदाहरण बनकर उभरी है कि समाज के सशक्त और जिम्मेदार वर्ग को अपने आस-पास के लोगों के लिए आगे आना चाहिए। इस तरह की गतिविधियां न केवल स्थानीय समुदाय के लिए मददगार साबित होती हैं, बल्कि यह लोगों के बीच एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देती हैं।

समाज के प्रति रोटी बैंक की जिम्मेदारी

मनोज मिश्रा ने रोटी बैंक के सामाजिक कार्यों को लेकर कहा, "हमारा उद्देश्य सिर्फ भोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि हम विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और अब सर्दियों में राहत पहुंचाने के प्रयास भी शामिल हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम समाज में बदलाव लाएं और लोगों की जिंदगी में एक सकारात्मक फर्क डालें।"

रोटी बैंक का यह कदम न केवल समाज में एक मजबूत संदेश पहुंचाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि छोटे-छोटे प्रयास भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इस सर्दी में ठिठुरते हुए गरीब मरीजों और उनके परिवारों को राहत देने की रोटी बैंक की पहल समाज के लिए प्रेरणादायक है। उम्मीद है कि इस तरह की और भी पहलें सामने आएंगी, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगी।

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