Jamshedpur Keertan Mahotsav: धर्म और आस्था के संग जुटे हजारों श्रद्धालु, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन भी हुए शामिल
जमशेदपुर के दारिसाई में चतुर्थ नवकुंज महोत्सव में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन हुए शामिल। अखंड हरिनाम संकीर्तन से गूंजा पूरा क्षेत्र, हजारों श्रद्धालुओं ने कीर्तन में लिया भाग। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

जमशेदपुर – झारखंड के जमशेदपुर स्थित दारिसाई में इस रविवार भक्ति और आस्था की अद्भुत छटा देखने को मिली। चतुर्थ नवकुंज महोत्सव के अंतर्गत आयोजित अखंड हरिनाम कीर्तन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस आयोजन में राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन भी शामिल हुए। उन्होंने राधा-कृष्ण मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की।
हरिनाम संकीर्तन से गूंजा पूरा क्षेत्र
इस महोत्सव में अखंड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें पूरे क्षेत्र की फिजा भक्ति रस में डूब गई। मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से न केवल आस्था बढ़ती है, बल्कि समाज में सद्भाव और एकता का भी संदेश जाता है। उन्होंने कहा कि हरिनाम संकीर्तन से अध्यात्मिक चेतना जागृत होती है और लोगों को मानसिक शांति भी मिलती है।
क्या है नवकुंज महोत्सव की परंपरा?
नवकुंज महोत्सव का संबंध वैष्णव भक्ति परंपरा से जुड़ा है। यह आयोजन मुख्य रूप से राधा-कृष्ण के भक्ति भाव को समर्पित होता है। झारखंड और पश्चिम बंगाल में इस तरह के आयोजनों की पुरानी परंपरा है, जहां ग्रामीण समुदाय मिलकर अखंड हरिनाम संकीर्तन करते हैं। माना जाता है कि इस आयोजन से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और क्षेत्र में सकारात्मकता का संचार होता है।
भक्तों की उमड़ी भीड़, भव्य रही व्यवस्था
कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की बड़ी संख्या देखने को मिली। पूरे मंदिर परिसर को फूलों और रंगीन झंडियों से सजाया गया था। भव्य मंडप में भक्तों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी।
शिक्षा मंत्री का संबोधन: एकता और अध्यात्म का मिला संदेश
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने अपने संबोधन में कहा,
"धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से समाज में एकता और प्रेम की भावना बढ़ती है। यह सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे को मजबूत करने का भी अवसर है।"
कौन-कौन रहे मौजूद?
इस मौके पर कई सामाजिक और राजनीतिक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। इनमें जगदीश भकत, कालीपद गोराई, वकील हेंब्रम, रतन महतो, अशोक महतो, अबनी महतो, बादल किस्कु, मंटू महतो, पिंटू महतो, जुझार सोरेन और मकरंजन विषई शामिल थे।
नवकुंज महोत्सव का भविष्य और महत्व
भक्तों ने इस आयोजन की सफलता के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया और हर साल इस तरह के कार्यक्रम करने की अपील की। आने वाले वर्षों में इसे और बड़े स्तर पर आयोजित करने की योजना है ताकि अधिक से अधिक लोग अध्यात्मिक शांति और भक्ति का आनंद ले सकें।
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