Jamshedpur Suicide: किशोरी ने फांसी लगाकर दे दी जान, परिजनों के होश उड़े!
जमशेदपुर के बर्मामाइन्स में 14 वर्षीय किशोरी ने आत्महत्या कर ली। जानें क्यों उठाया इतना बड़ा कदम? क्या डांट-फटकार ही वजह थी या कुछ और? पढ़ें पूरी खबर!

जमशेदपुर: बर्मामाइन्स थाना क्षेत्र की कैरेज कॉलोनी में शनिवार देर शाम दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। 14 वर्षीय किशोरी शांति हेंब्रम ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से पूरा इलाका सन्न रह गया। जब परिजनों ने उसे फंदे से उतारकर एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
क्यों उठाया किशोरी ने इतना बड़ा कदम?
मृतका के पिता विजय हेंब्रम और मां सरस्वती हेंब्रम मजदूरी करते हैं। शुक्रवार को शांति बिना बताए परसुडीह में अपनी बुआ के घर चली गई थी। जब उसके पिता को इस बारे में पता चला तो उन्होंने नाराज होकर उसे फोन पर फटकार लगाई थी। अगले दिन, यानी शनिवार को, जब माता-पिता अपने-अपने काम पर चले गए, तो शांति ने अकेलेपन और डांट की वजह से खुद को खत्म करने का फैसला कर लिया।
घटना से पूरे इलाके में सनसनी!
इस खबर से पूरे इलाके में मातम छा गया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर एमजीएम अस्पताल के सिद्ध ग्रह में रखवा दिया। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है और यह समझने की कोशिश कर रही है कि क्या आत्महत्या की कोई और वजह तो नहीं थी।
आखिर किशोरों में क्यों बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति?
शांति हेंब्रम की यह घटना सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ रही एक बड़ी समस्या की तरफ इशारा करती है। किशोरों में आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पारिवारिक तनाव, पढ़ाई का दबाव, डांट-फटकार और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं इस तरह की घटनाओं का कारण बन रही हैं।
इतिहास में भी दर्ज हैं ऐसी घटनाएं
अगर इतिहास की बात करें, तो किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति हमेशा से चिंता का विषय रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल हजारों किशोर अवसाद और पारिवारिक दबाव के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। कई मामलों में, माता-पिता की सख्ती और डांट-फटकार ही बच्चों के मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण बनती है।
मनोवैज्ञानिकों की राय: क्या करें माता-पिता?
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ सख्ती की बजाय संवाद स्थापित करने की जरूरत है।
- बच्चों को सुनें: अगर बच्चा किसी परेशानी में है, तो उसे डांटने की बजाय उसकी बातें सुनें और समाधान निकालें।
- तनाव को समझें: पढ़ाई, दोस्ती और पारिवारिक मामलों को लेकर किशोर अक्सर तनाव में रहते हैं, ऐसे में माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए।
- सकारात्मक माहौल दें: घर में ऐसा माहौल बनाएं कि बच्चे खुलकर अपनी बात कह सकें।
शांति हेंब्रम की आत्महत्या एक दर्दनाक घटना है, लेकिन यह समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी देती है। किशोरों को सही मार्गदर्शन और मानसिक सहयोग की जरूरत होती है। अगर माता-पिता और समाज समय रहते इस समस्या को समझ लें, तो कई मासूम जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
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