Jamshedpur Elephant : चाकुलिया में हाथी का कहर, धान के लिए लैंपस और घरों में मचाया उत्पात!
चाकुलिया के सोनाहातू पंचायत में एक हाथी ने धान खाने के लिए लैंपस और घरों में भारी उत्पात मचाया। जानें, कैसे गांववालों ने अपनी जान बचाई और हाथी ने कितनी तबाही मचाई।
चाकुलिया प्रखंड के सोनाहातू पंचायत के मुटुरखाम गांव में बीती रात का नज़ारा किसी फिल्म के सीन से कम नहीं था। गांव के पास बसे जंगल से निकले एक हाथी ने धान के लालच में पूरे इलाके में तबाही मचा दी। सबसे पहले हाथी ने लैंपस भवन को अपना निशाना बनाया, जो इस इलाके में धान अधिप्राप्ति केंद्र के रूप में जाना जाता है।
लैंपस भवन पर हाथी का हमला
हाथी ने लैंपस के मुख्य दरवाजे का ग्रिल तोड़ दिया और अंदर रखे धान के बोरे पर धावा बोल दिया। इस दौरान वहां रखे वेट मशीन को भी हाथी ने क्षतिग्रस्त कर दिया। धान के बोरे चबाने और बिखेरने के बाद वहां भारी नुकसान हुआ। लैंपस के सचिव गोपाल पात्र ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब हाथी ने यहां उत्पात मचाया हो।
गांव में फैली दहशत
लैंपस में तबाही मचाने के बाद हाथी ने आसपास के दो घरों को भी अपना निशाना बनाया। लाल मोहन सोरेन और प्रताप नायक के घरों को तोड़कर हाथी ने वहां रखे धान के बोरे खा लिए। गांववालों ने बताया कि हाथी के आने से पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया। इन परिवारों ने किसी तरह छिपकर अपनी जान बचाई।
इतिहास से जुड़ी कहानी
झारखंड के इस क्षेत्र में हाथियों का जंगल से निकलकर गांव में आना कोई नई बात नहीं है। सालों से यह इलाका मानव-हाथी संघर्ष का गवाह रहा है। जंगलों में भोजन की कमी और तेजी से हो रहे वनों की कटाई के कारण हाथी गांवों की ओर रुख करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी हाथी कई बार इस इलाके में उपद्रव कर चुके हैं।
ग्रामीणों की मांग और प्रशासन का मौन
लैंपस भवन और ग्रामीणों के घरों में हुई तबाही के बाद लोग काफी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को हाथियों की समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। लैंपस के सचिव गोपाल पात्र ने कहा कि वन विभाग को जल्द से जल्द इस हाथी को जंगल की गहराइयों में वापस भेजना चाहिए।
हाथी जंगल में वापस, पर कब तक?
उत्पात मचाने के बाद हाथी जंगल की ओर लौट गया, लेकिन गांववालों के मन में अब भी डर बना हुआ है। गांव से सटे जंगलों में हाथियों की उपस्थिति ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बन गई है। लोगों ने वन विभाग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की मांग की है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, हाथियों के प्राकृतिक आवास को बचाना और गांवों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाना इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। इसके अलावा, लोगों को जागरूक करना और हाथियों के व्यवहार को समझने के लिए कार्यक्रम चलाना भी जरूरी है।
चाकुलिया के इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। जब तक जंगल सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।
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