Jadugoda: बालू माफिया का बढ़ता कद, सरकार के नियंत्रण का सवाल!
चुनाव के बाद जादूगोड़ा में बालू माफिया के सक्रिय होने की खबरें आ रही हैं। जानिए कैसे अवैध बालू उठाव से झारखंड सरकार को हो रही करोड़ों की चपत और इस मामले पर प्रशासन की चुप्पी का कारण।
जमशेदपुर: चुनाव समाप्त होते ही जादूगोड़ा में एक बार फिर बालू माफिया का तांडव शुरू हो गया है। स्वर्णरेखा नदी और गुरा नदी जैसे इलाकों से अवैध बालू उठाव की घटनाएं तेज हो गई हैं, जिससे न केवल पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, बल्कि झारखंड सरकार को प्रतिदिन करोड़ों का चूना भी लग रहा है। इस अवैध कारोबार में जुड़े लोगों की अकूत दौलत और प्रशासन की चुप्पी ने स्थानीय जनता के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं।
अवैध बालू कारोबार: कैसे माफिया चला रहे हैं खेल?
जादूगोड़ा थाना क्षेत्र के दुड़कू बागान टोला स्थित स्वर्णरेखा नदी से अवैध बालू उठाव का सिलसिला लगातार जारी है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कुलड़ीहा पंचायत के सटे गुरा नदी से प्रतिदिन 25 से 30 ट्रैक्टर बालू का अवैध उठाव किया जाता है। इन ट्रैक्टरों को अवैध तरीके से बालू से लादकर गांव-गांव में सप्लाई किया जाता है। खासकर इंचडा, कुलड़ीहा, भाटीन, जादूगोड़ा, और गोविंदपुर जैसे इलाकों में यह बालू ऊंचे दामों पर बिकता है।
माफिया का मुनाफा: सस्ती बालू, महंगी कीमत
जानकारों के अनुसार, इस अवैध बालू कारोबार में माफिया प्रति ट्रैक्टर बालू 3,000 से 4,000 रुपये तक में बेच रहे हैं। इसके अलावा, कई बार ये माफिया बालू उठाने के बाद उसे सड़क किनारे भंडारण कर ऊंचे दामों पर बेचते हैं। इससे एक ओर समस्या यह उत्पन्न हो रही है कि सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है, जबकि पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सरकार और प्रशासन का मौन: जिम्मेदारी किसकी?
इन अवैध गतिविधियों के बावजूद खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठाया गया है। झारखंड सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों की चुप्पी ने लोगों के बीच चिंता और आक्रोश को जन्म दिया है। यह सवाल उठता है कि जब चुनाव खत्म हो गए, तो क्यों इस अवैध कारोबार पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है?
क्या है खनन विभाग की भूमिका?
खनन विभाग का काम है अवैध खनन की घटनाओं पर नियंत्रण पाना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना। बावजूद इसके, बालू माफिया की पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है, और प्रशासन इसका किसी भी तरह से विरोध नहीं कर पा रहा है। अब यह देखना बाकी है कि खनन विभाग इस दिशा में कब पहल करता है और क्या यह अवैध कारोबार पर अंकुश लगा पाता है या नहीं।
पर्यावरणीय नुकसान और स्थानीय जनता की परेशानी
अवैध बालू खनन से स्वर्णरेखा नदी और गुरा नदी के पर्यावरणीय संतुलन पर भी गहरा असर पड़ रहा है। नदी के किनारे और आसपास की भूमि में कटाव बढ़ गया है, जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गया है। साथ ही, स्थानीय जनता भी इस माफिया के कारनामों से परेशान है, क्योंकि यह व्यापार न केवल उनके प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहा है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन स्तर को भी प्रभावित कर रहा है।
क्या होगा अब?
जादूगोड़ा में बालू माफिया का बढ़ता हुआ प्रभाव यह दर्शाता है कि अवैध खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकला है। अब देखना यह है कि खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन कब इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाएगा और क्या झारखंड सरकार इस अवैध कारोबार को नियंत्रित करने में सफल हो पाएगी।
यह घटना यह भी सवाल उठाती है कि क्या सरकारी नीतियां और नियमन इस प्रकार के अवैध कार्यों से प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम हैं। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि स्थानीय प्रशासन और खनन विभाग क्या कदम उठाते हैं और इस अवैध कारोबार पर कितनी जल्दी अंकुश लगाते हैं।
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