Jadugoda Fire: ग्रामीणों की बहादुरी से टला बड़ा संकट, वरना राख बन जाता बालीजुड़ी गांव
जादूगोड़ा से सटे बालीजुड़ी गांव में गुरुवार को बड़ा हादसा होते-होते बचा। महुआ चुनने के लिए झाड़ियों में लगाई गई आग गांव तक पहुंच गई थी, लेकिन ग्रामीणों की सूझबूझ से एक बड़ा संकट टल गया। पढ़ें पूरी खबर।

जादूगोड़ा: गुरुवार को जादूगोड़ा से सटे बालीजुड़ी गांव में बड़ा हादसा होते-होते बच गया। किसी ने महुआ चुनने के लिए झाड़ियों में आग लगा दी, लेकिन लपटें इतनी तेज़ी से बढ़ीं कि खेत-खलिहानों को चपेट में लेती हुई गांव तक पहुंच गईं। स्थिति भयावह हो गई थी, लेकिन गांववालों की सूझबूझ और तत्परता से एक बड़ी तबाही टल गई।
कैसे फैली आग?
गर्मियों के मौसम में महुआ चुनने के लिए अक्सर सूखी झाड़ियों में आग लगा दी जाती है, ताकि पेड़ों से गिरे महुआ आसानी से इकट्ठा हो सके। लेकिन कई बार यह आग बेकाबू होकर आसपास के खेतों और घरों तक पहुंच जाती है। ठीक ऐसा ही इस बार भी हुआ। झाड़ियों में लगाई गई आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और तेज़ हवा के कारण देखते ही देखते गांव के नज़दीक पहुंच गई।
गांव के लिए बड़ा खतरा!
गांव में ज्यादातर घर कच्चे हैं, जिनकी छतें खपरैल और बांस-फूस से बनी होती हैं। ऐसे में अगर आग गांव में प्रवेश कर जाती, तो पूरी बसाहट जलकर राख हो सकती थी। लेकिन इस संकट के समय स्थानीय लोगों ने अपनी हिम्मत और एकजुटता दिखाई।
गांववालों की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा
गांव के मुखिया बिदेन सरदार और सामाजिक कार्यकर्ताओं—अनिल मुर्मू, लक्ष्मण हेंब्रम, रघुनाथ हांसदा, कृष्णा मुर्मू, बंगाल मुर्मू, सोनामुनि मुर्मू और कारु सोरेन ने आग बुझाने की जिम्मेदारी उठाई। बिना किसी देरी के सभी ग्रामीण बाल्टी, मिट्टी, और कपड़े लेकर आग बुझाने में जुट गए। कुछ लोगों ने ट्यूबवेल और कुओं से पानी लाकर झाड़ियों में डालना शुरू किया, जिससे धीरे-धीरे आग काबू में आ गई।
ऐसे मामलों में बरती जाए सावधानी
ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ चुनने के दौरान झाड़ियों में आग लगाने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि इसे नियंत्रित किया जाए। गर्मी के मौसम में आग जल्दी फैलती है, जिससे बड़े पैमाने पर फसलें, पेड़-पौधे और यहां तक कि मानव बस्तियां भी खतरे में पड़ जाती हैं। प्रशासन को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
गांववालों के साहस की हो रही सराहना
बालीजुड़ी गांव के लोगों की बहादुरी और सूझबूझ से पूरा गांव जलने से बच गया। उनकी तत्परता और सामूहिक प्रयासों की हर जगह सराहना हो रही है। अगर उन्होंने कुछ मिनट भी देर कर दी होती, तो गांव में भयानक त्रासदी हो सकती थी।
क्या सीख मिलती है इस घटना से?
- जंगल या झाड़ियों में आग लगाने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोचना चाहिए।
- आग लगने की स्थिति में तुरंत सामूहिक प्रयास करने चाहिए, क्योंकि आग बहुत तेजी से फैलती है।
- प्रशासन को ग्रामीण इलाकों में आग से बचाव के उपायों को लेकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
- ग्रामीण इलाकों में दमकल सुविधाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है, ताकि ऐसे हालात में त्वरित मदद मिल सके।
बालीजुड़ी गांव में हुआ यह हादसा एक चेतावनी है कि लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है। अगर गांववालों ने समय रहते आग पर काबू न पाया होता, तो पूरा गांव जलकर राख हो सकता था। अब जरूरत इस बात की है कि इस तरह की घटनाओं से सबक लिया जाए और भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचा जाए।
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