टाटा स्टील फाउंडेशन ने 7.4 लाख बच्चों की शिक्षा में क्रांति लाकर "मस्ती की पाठशाला" के छात्रों को किया सम्मानित

टाटा स्टील फाउंडेशन ने "मस्ती की पाठशाला" के पहले बैच के छात्रों और शिक्षकों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया। जानिए कैसे इस अनूठी पहल ने 7.4 लाख बच्चों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाई और 6,932 बच्चों को औपचारिक शिक्षा में लौटने में मदद की।

Oct 1, 2024 - 23:14
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टाटा स्टील फाउंडेशन ने 7.4 लाख बच्चों की शिक्षा में क्रांति लाकर "मस्ती की पाठशाला" के छात्रों को किया सम्मानित
टाटा स्टील फाउंडेशन ने 7.4 लाख बच्चों की शिक्षा में क्रांति लाकर "मस्ती की पाठशाला" के छात्रों को किया सम्मानित

जमशेदपुर, 1 अक्टूबर 2024: टाटा स्टील फाउंडेशन ने एक बार फिर से शिक्षा में बदलाव का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। "मस्ती की पाठशाला" के पहले बैच के छात्रों, जिन्होंने इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है, को सम्मानित करने के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर टाटा स्टील फाउंडेशन के प्रमुख अधिकारी, शिक्षक, प्राचार्य और जिले के प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम ने शिक्षा के क्षेत्र में फाउंडेशन की क्रांतिकारी पहल की महत्ता को उजागर किया।

महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि से हुई शुरुआत

इस भव्य समारोह की शुरुआत महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित करके की गई। इस आयोजन में 600 से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें सरकारी अधिकारी, शिक्षक, प्राचार्य, और अन्य सम्माननीय लोग शामिल थे। इस समारोह में शिक्षकों और छात्रों को उनकी अथक मेहनत और समर्पण के लिए सम्मानित किया गया। जो छात्र बिना किसी औपचारिक शिक्षा के मस्ती की पाठशाला में शामिल हुए थे और बाद में मैट्रिक परीक्षा पास कर दिखाया, उनके लिए यह दिन बहुत ही खास था। कुछ छात्रों ने गर्मी की छुट्टियों में इंटर्नशिप की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल में वापस शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों, शिक्षकों, टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय और पूर्वी सिंहभूम के जिला उपायुक्त के प्रेरणादायक सत्रों के साथ छात्रों और शिक्षकों द्वारा शानदार प्रस्तुतियां भी दी गईं। यह मंच छात्रों को अपनी प्रतिभा और मेहनत का प्रदर्शन करने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।

टाटा स्टील फाउंडेशन का अद्वितीय योगदान

इस अवसर पर टाटा स्टील फाउंडेशन के सीईओ सौरव रॉय ने कहा, "यह देखना अत्यंत प्रेरणादायक है कि बच्चों और शिक्षकों ने मिलकर क्या शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं, और यह उनकी यात्रा की सिर्फ शुरुआत है। यह परिवर्तन सरल नहीं था, लेकिन शिक्षकों की अथक मेहनत और बच्चों की निरंतर कोशिशों ने इस चुनौती को पूरा किया। ये बच्चे अपने साथियों के लिए प्रेरणा बने हैं और जिस भविष्य की ओर वे बढ़ रहे हैं, वह वास्तव में प्रशंसनीय है।"

मस्ती की पाठशाला: शिक्षा में क्रांति की दिशा में एक कदम

मस्ती की पाठशाला टाटा स्टील फाउंडेशन की एक अनूठी पहल है, जिसका उद्देश्य बच्चों को उनकी वास्तविक क्षमताओं को पहचानने में मदद करना है और उन्हें श्रम के सबसे खराब रूपों से बाहर निकालना है। वर्तमान में, यह पहल जमशेदपुर के आसपास के 139 बस्तियों में 4,000 बच्चों तक पहुंचने का काम कर रही है। इसका मकसद इन वंचित बच्चों को शिक्षा, कौशल विकास और आवश्यक संसाधन प्रदान करना है ताकि वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें और एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।

मस्ती की पाठशाला केवल शिक्षा नहीं देती, बल्कि बच्चों को एक नया दृष्टिकोण देती है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इस प्रयास से बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जाता है और उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है, जो उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

2024 में मिले असाधारण परिणाम

वित्तीय वर्ष 2024 में, टाटा स्टील फाउंडेशन ने शिक्षा के क्षेत्र में शानदार परिणाम प्राप्त किए। फाउंडेशन ने 7.4 लाख से अधिक बच्चों तक अपनी पहुंच बनाई, जिसमें 6,932 बाहर-बसे बच्चों को औपचारिक शिक्षा में वापस लाने में सफलता हासिल की गई। इसके अलावा, 3.2 लाख बच्चों को आधारभूत साक्षरता और गणित कार्यक्रमों में शामिल किया गया। ओडिशा के क्योंझर में 17 ब्लॉकों को बाल श्रम मुक्त घोषित करने में भी इस पहल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

टाटा स्टील फाउंडेशन का यह प्रयास न केवल शिक्षा प्रदान करने का है, बल्कि बच्चों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का भी है। फाउंडेशन का मानना है कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे किसी भी समाज को उन्नति की दिशा में अग्रसर किया जा सकता है।

महिलाओं और बच्चों के लिए सामाजिक बदलाव की दिशा में कदम

इस समारोह में सौरव रॉय ने उन शिक्षकों की प्रशंसा की जिन्होंने इस मिशन को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी के रूप में लिया और हर बच्चे को समान शिक्षा और अवसर दिलाने के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की सफलता से अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी। यह पहल महिलाओं और बच्चों के लिए एक बड़ा सामाजिक बदलाव लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह दिखाता है कि शिक्षा कैसे किसी भी बच्चे के जीवन को बदल सकती है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से क्यों न हो।

शिक्षा के माध्यम से भविष्य का निर्माण

टाटा स्टील फाउंडेशन का यह प्रयास स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि शिक्षा ही वह कुंजी है जो बच्चों को उनके सपनों की ओर ले जा सकती है। "मस्ती की पाठशाला" के बच्चों की सफलता यह साबित करती है कि जब सही दिशा, संसाधन और समर्थन मिलता है, तो कोई भी बाधा उनकी प्रगति को रोक नहीं सकती।

इस अनूठी पहल के माध्यम से टाटा स्टील फाउंडेशन ने न केवल शिक्षा प्रदान की है, बल्कि समाज के सबसे वंचित तबकों के बच्चों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी दिया है। यह पहल यह सिद्ध करती है कि किसी भी बच्चे में काबिलियत होती है, बस जरूरत है उन्हें सही दिशा और समर्थन की।

टाटा स्टील फाउंडेशन का यह प्रयास आने वाले वर्षों में कई और बच्चों के जीवन को बदलने का वादा करता है। यह केवल एक पहल नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो शिक्षा के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।