Odisha Milestone: हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने भारत को दी नई पहचान

ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक भारत को चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करती है। पढ़ें पूरी खबर।

Nov 17, 2024 - 15:05
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Odisha Milestone: हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने भारत को दी नई पहचान
Odisha Milestone: हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने भारत को दी नई पहचान

17 नवंबर 2024: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करती है बल्कि इसे दुनिया के चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करती है जिनके पास इतनी उन्नत और जटिल तकनीक है।

हाइपरसोनिक मिसाइल: क्या है खासियत?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति (Mach) से पांच गुना तेज चलती हैं। ये अत्याधुनिक हथियार प्रणाली अपनी सटीकता और गति के कारण दुश्मन के बचाव तंत्र को निष्प्रभावी करने में सक्षम है। इस परीक्षण ने भारत की तकनीकी दक्षता और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की क्षमता को पूरी दुनिया में साबित कर दिया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, सशस्त्र बलों और औद्योगिक भागीदारों को इस बड़ी सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा,
"यह परीक्षण भारत को रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। यह हमारे वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों की मेहनत और समर्पण का प्रमाण है।"

इतिहास रचने वाली जगह: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप

ओडिशा के चांदीपुर तट से कुछ दूर स्थित यह द्वीप, जिसे पहले व्हीलर द्वीप के नाम से जाना जाता था, भारत के मिसाइल परीक्षणों का केंद्र रहा है। इस द्वीप का नाम 2015 में मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया।

यहां से अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी कई मिसाइलों का परीक्षण हो चुका है। अब इस हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण ने इस द्वीप को एक नई पहचान दी है।

भारत की रक्षा शक्ति में नई छलांग

इस उपलब्धि के साथ, भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जो हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का विकास और परीक्षण कर चुके हैं। अमेरिका, रूस और चीन के बाद अब भारत ने भी इस क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाई है।

यह मिसाइल न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) को भी मजबूत करती है। रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' पहल को भी इस सफलता से नई ऊर्जा मिली है।

रक्षा क्षेत्र में DRDO का बढ़ता योगदान

DRDO ने पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा क्षमताओं को विश्व स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाइपरसोनिक मिसाइल का यह परीक्षण संगठन की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का एक और बड़ा प्रमाण है।

दुनिया को संदेश: भारत तैयार है

यह परीक्षण भारत के लिए केवल एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक मजबूत संदेश भी है। यह दिखाता है कि भारत अब न केवल सैन्य तकनीक का उपभोक्ता है, बल्कि एक उन्नत निर्माता भी है।

निष्कर्ष: भारत के रक्षा इतिहास का नया अध्याय

भारत का हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण न केवल देश की सुरक्षा को और मजबूत करेगा, बल्कि यह वैज्ञानिक उपलब्धियों के क्षेत्र में भी मील का पत्थर साबित होगा।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से यह परीक्षण भारत की ताकत और तकनीकी समर्पण का जीता-जागता उदाहरण है। आने वाले समय में यह तकनीक भारत को और भी मजबूत और आत्मनिर्भर बनाएगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।