हजल - 5 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
आया है इतवार चकाचक, आओ कर लें प्यार चकाचक। .......
हजल
आया है इतवार चकाचक,
आओ कर लें प्यार चकाचक।
कहते हैं सब यार चकाचक,
शायर हूं दमदार चकाचक।
प्यार का साबुन वफा का शेम्पो,
करता है किरदार चकाचक।
शादी के दस साल हुए पर,
लगती हो कचनार चकाचक।
हम दोनों में प्यार बहुत है,
क्यों न हो घरबार चकाचक।
प्यार अगर हो जाए उससे,
लगती हैं खूंखार चकाचक।
दफ्तर से आते ही घर में,
पड़ती है फटकार चकाचक।
चाट और फुल्की खाती तुम तो,
ले लेकर चट्खाऱ चकाचक।
देशी हो या अंग्रेजी हो यारों,
ये पीकर हैं ग़मखार चकाचक।
सब घोटाले बाज ये बोले,
हम देंगें सरकार चकाचक।
जलती है तो जले ये दुनियां,
मस्त रहें हम चार चकाचक।
खा के दवा नौशाद तुम्हारी,
हो जाता बीमार चकाचक।
गज़लकार
नौशाद अहमद सिद्दीकी ,
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