Gumla Tragedy: सड़क पर गिरा पीपल का पेड़, जीजा-साले की दर्दनाक मौत

गुमला जिले के सतखारी गांव में एक दर्दनाक हादसे में जीजा-साले की मौके पर ही मौत हो गई। मोटरसाइकिल से गुजर रहे दोनों युवकों पर अचानक पीपल की भारी डाली गिर गई। पढ़िए पूरी खबर।

Oct 1, 2025 - 14:05
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Gumla Tragedy: सड़क पर गिरा पीपल का पेड़, जीजा-साले की दर्दनाक मौत
Gumla Tragedy: सड़क पर गिरा पीपल का पेड़, जीजा-साले की दर्दनाक मौत

मंगलवार को गुमला जिले के पालकोट प्रखंड के सतखारी गांव में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया। यहां एक ही परिवार के दो लोगों—जीजा-साले—की मौके पर मौत हो गई। पीपल के पेड़ की मोटी डाली सड़क पर गिरी और बाइक से गुजर रहे दोनों युवक उसके नीचे दब गए।

हादसा कैसे हुआ?

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सतखारी से सवना टोली जाने वाली सड़क के किनारे एक विशाल पीपल का पेड़ है। उसकी मोटी और भारी डाली को काटने का काम चल रहा था। उसी दौरान मोटरसाइकिल पर सवार होकर सागर कुल्लू (25 वर्ष) और उनके साले बीजू एक्का (28 वर्ष) वहां से गुजरने लगे।

ग्रामीणों ने उन्हें रोककर सावधान भी किया कि डाली काटी जा रही है, लेकिन शायद जल्दबाजी या लापरवाही के चलते उन्होंने रास्ता बदलने की बजाय वहीं से जाने की कोशिश की। ठीक उसी पल भारी डाली अचानक गिर गई और दोनों उसकी चपेट में आ गए।

अफरा-तफरी और मातम

जैसे ही डाली गिरी, मौके पर अफरा-तफरी मच गई। आसपास के लोग दौड़कर पहुंचे और सामूहिक प्रयास से डाली हटाकर दोनों को बाहर निकाला। लेकिन तब तक दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो चुकी थी।

गांव में मातम पसर गया। ग्रामीणों ने बताया कि दोनों ही मेहनतकश और मिलनसार स्वभाव के युवक थे। उनकी असामयिक मौत से परिवार और गांव दोनों को गहरा आघात पहुंचा है।

पुलिस की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही पालकोट थाना प्रभारी तरुण कुमार दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पंचनामा कर शवों को पोस्टमार्टम के लिए गुमला भेजा।

प्राथमिक जांच में यह साफ हुआ कि हादसा पूरी तरह से सावधानी न बरतने की वजह से हुआ। अगर युवक ग्रामीणों की बात मान लेते और रास्ता बदल देते तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी।

ऐतिहासिक संदर्भ: पेड़ों से जुड़े हादसे

पेड़ों से जुड़ी दुर्घटनाएं ग्रामीण भारत में नई नहीं हैं। बरसों से पुराने और विशाल पेड़ ग्रामीण जीवन का हिस्सा रहे हैं। जहां एक ओर ये छांव, हवा और आस्था का प्रतीक होते हैं, वहीं समय-समय पर इनके टूटने या गिरने से दुर्घटनाएं भी होती रही हैं।

विशेष रूप से मानसून और बारिश के बाद पेड़ों की डालियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में सड़क किनारे खड़े पुराने पेड़ कई बार जानलेवा साबित हो जाते हैं।

प्रशासन के लिए सबक

इस हादसे ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रशासन को ऐसे पुराने और जर्जर पेड़ों की नियमित जांच नहीं करनी चाहिए?

सड़क किनारे खड़े बड़े पेड़ जहां छांव देते हैं, वहीं यातायात और सुरक्षा के लिए खतरा भी बनते हैं। समय-समय पर पेड़ों की डालियों को काटकर या पेड़ों को मजबूत करने के उपाय करने जरूरी हैं।

गांव में शोक की लहर

सतखारी गांव अब शोक में डूबा हुआ है। एक ही परिवार के दो बेटों की मौत ने लोगों को झकझोर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह हादसा किसी सजा से कम नहीं। सागर और बीजू का नाम अब गांव में दर्दनाक यादों के साथ लिया जाएगा।

गुमला का यह हादसा हमें यह सिखाता है कि छोटी-सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। जहां एक ओर प्रशासन को सुरक्षा इंतजाम पुख्ता करने होंगे, वहीं लोगों को भी सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी।

आज सतखारी गांव में मातम पसरा है, लेकिन यह घटना पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि जीवन की राह पर हर कदम सोच-समझकर उठाना जरूरी है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।