Gua Haathi Attack: भनगांव में जंगली हाथियों का आतंक, तीन दिनों से घरों को कर रहे तहस-नहस!
पश्चिमी सिंहभूम के भनगांव में जंगली हाथियों का आतंक जारी, घरों को तहस-नहस कर रहे हैं हाथी। ग्रामीण रातों में जागकर पहरा देने को मजबूर। जानिए पूरी खबर।

पश्चिमी सिंहभूम जिले के मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत के भनगांव में बीते तीन दिनों से जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन गजराजों ने अब तक 8 से 10 ग्रामीणों के घरों को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है। ग्रामीणों के घरों में रखा खाद्यान्न चट कर बचे-खुचे सामान को नष्ट कर रहे हैं।
दिन हो या रात, हाथियों का तांडव जारी
स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि ग्रामीण रात-रातभर जागकर पहरा देने को मजबूर हैं। महिलाओं और बच्चों के चेहरों पर खौफ साफ देखा जा सकता है। न दिन में चैन, न रात को नींद! कभी भी अचानक हाथियों का झुंड गांव में घुस आता है और घरों को तोड़ने लगता है।
हाथियों के आतंक से बढ़ा पलायन का डर
ग्रामीणों के अनुसार, वन विभाग द्वारा हाथियों को भगाने के सारे प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे हाथियों को आबादी से दूर किया जा सके। गांव में दहशत का माहौल है और लोग अब पलायन की सोचने लगे हैं।
21 मार्च को हाथियों ने बिरसा नायक, गोविंद नायक, रंगो चाम्पिया, रोया चाम्पिया और चरण नायक के घरों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया। अगले ही दिन रोया चाम्पिया के घर को दोबारा तोड़ डाला।
इतिहास में भी झेल चुका है सिंहभूम हाथियों का कहर
पश्चिमी सिंहभूम जिला वर्षों से हाथियों और इंसानों के बीच टकराव की घटनाओं के लिए बदनाम रहा है। इतिहास उठाकर देखें तो 1990 के दशक से लेकर अब तक हजारों लोग हाथियों के हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। चाईबासा, सारंडा, मंझारी, बंदगांव, गुवा और मेघाहातुबुरु जैसे इलाकों में जंगली हाथियों का आतंक कोई नई बात नहीं है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, वनों की कटाई और हाथियों के प्राकृतिक आवास नष्ट होने के कारण वे भोजन और पानी की तलाश में गांवों का रुख कर रहे हैं। तेजी से बढ़ते मानव अतिक्रमण के कारण वन्यजीवों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है।
क्या कह रहे हैं अधिकारी?
पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा ने गांव का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें धैर्य रखने को कहा। उन्होंने वन विभाग से जल्द से जल्द हाथियों को जंगल में खदेड़ने की मांग की।
ग्रामीणों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है:
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हाथियों को उकसाने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करें।
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प्रशासन द्वारा जारी सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करें।
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रात में सतर्क रहें और बिना रोशनी के बाहर न निकलें।
वन विभाग की सुस्ती, ग्रामीणों में आक्रोश
वन विभाग की निष्क्रियता से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रशासन सिर्फ मुआयना कर रहा है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठा रहा। इससे पहले भी झारखंड के कई जिलों में इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन वन विभाग हर बार केवल आश्वासन देकर पीछे हट जाता है।
कब रुकेगा यह कहर?
गुवा और आसपास के क्षेत्रों में जंगली हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि प्रशासन त्वरित कदम उठाए और हाथियों को सुरक्षित जंगल में वापस भेजने का ठोस समाधान निकाले। नहीं तो ग्रामीणों के लिए अपने घरों में रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
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