जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में साहित्य कला परिषद का गठन, छात्रों को दी किताबें पढ़ने की प्रेरणा
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज और साहित्य कला फाउंडेशन द्वारा साहित्य कला परिषद का गठन हुआ। समारोह में छात्रों को किताबें पढ़ने और साहित्य से जुड़ने की प्रेरणा दी गई।
जमशेदपुर, 6 अक्टूबर 2024: जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज और साहित्य कला फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से ‘साहित्य कला परिषद’ का गठन किया गया। शनिवार को कॉलेज में एक समारोह के दौरान इसका औपचारिक रूप से गठन हुआ। इस समारोह की मुख्य अतिथि जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. पुष्पा कुमारी थीं। उन्होंने समारोह में उपस्थित छात्रों और शिक्षकों को साहित्य और किताबों से जुड़ने की प्रेरणा दी।
डॉ. पुष्पा कुमारी ने अपने भाषण में कहा, "आज के डिजिटल युग में बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे हैं। मोबाइल और गैजेट्स के बढ़ते उपयोग के कारण उनमें किताबें पढ़ने की आदत कम हो रही है। यह हम सभी शिक्षकों और अभिभावकों का कर्तव्य है कि बच्चों को किताबों के महत्व से अवगत कराएं और उन्हें पढ़ने की प्रेरणा दें।" उन्होंने यह भी कहा कि किताबें पढ़ने से न केवल ज्ञान बढ़ता है, बल्कि अवसाद और मानसिक विकृति जैसी समस्याओं से भी बचा जा सकता है।
साहित्य से व्यक्तित्व का विकास: डॉ. अमर सिंह
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा, "साहित्य एक ऐसा साधन है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है।" उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम की शिक्षा से हम केवल 10 प्रतिशत ही ज्ञान प्राप्त करते हैं, जबकि साहित्य और अन्य किताबों से मिलने वाला ज्ञान व्यक्ति को विशेष बनाता है। प्राचार्य ने छात्रों से अपील की कि वे साहित्य और कला से जुड़ें, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
साहित्य में हर विषय की झलक: डॉ. अंतरा कुमारी
आर्ट एंड कल्चर सेल की समन्वयक डॉ. अंतरा कुमारी ने साहित्य के महत्व को समझाते हुए कहा कि साहित्य जीवन के हर पहलू से जुड़ा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे कोई भी राजनीतिक या सामाजिक घटना हो, साहित्यकारों ने उसे अपनी कहानियों और कविताओं के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। उन्होंने एक कहानी के माध्यम से छात्रों को साहित्य का महत्व बताया।
किताबें पढ़ने की आदत डालें: डॉ. क्षमा त्रिपाठी
डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और भविष्य की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, "किताबें पढ़ने की आदत डालना बहुत जरूरी है। इससे न केवल हमारा ज्ञान बढ़ता है, बल्कि हम मानसिक रूप से भी मजबूत बनते हैं।"
अन्य वक्ताओं के विचार
सांख्यिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने स्वागत भाषण में कहा कि "साहित्य एक ऐसी विधा है जिसमें हर विषय की झलक मिलती है।" इस अवसर पर हिंदी विभाग की छात्राएं निशा झा और अनीता महतो ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मंच संचालन हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रियंका कुमारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. रुचिका तिवारी ने किया।
इस कार्यक्रम में बॉटनी विभाग के प्रोफेसर ब्रजेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्र, हिंदी विभाग की छात्रा बबिता मांडी, उर्दू विभाग की गौसिया, और अंग्रेजी विभाग की शुभांगी गोराई ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अन्य उपस्थित गणमान्य
इस अवसर पर डॉ. स्वाति सोरेन, डॉ. अशोक कुमार रवानी, डॉ. अनुपम, डॉ. सफीउल्लाह खान, डॉ. पुष्पा सिंह, शोभा देवी, डॉ. अनिता, और डॉ. रंजीत कर्ण समेत कई शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।
यह साहित्य कला परिषद छात्रों को साहित्य और कला से जोड़ने और उनके व्यक्तित्व को निखारने का एक बेहतरीन मंच प्रदान करेगा।
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