East India Company से 'आलसी भारत कंपनी' तक: मुफ्तबाजी की संस्कृति कैसे युवाओं को बर्बाद कर रही और अर्थव्यवस्था को डुबोने का खतरा
जानिए कैसे मुफ्तबाजी की संस्कृति भारत की नई पीढ़ी को आलसी बना रही है और देश की अर्थव्यवस्था को डुबोने का खतरा। ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास से तुलना करते हुए समझें इसके गंभीर परिणाम।
18वीं सदी में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के संसाधनों को लूटकर उसे आर्थिक रूप से गुलाम बना दिया। आज, एक नया खतरा विदेशी नहीं, बल्कि हमारी अपनी "मुफ्तबाजी संस्कृति" है। बिजली, पानी, लैपटॉप जैसी मुफ्त सुविधाओं का लालच देकर राजनीतिक दल युवाओं को आलसी और निर्भर बना रहे हैं। यह लेख बताता है कि कैसे यह संस्कृति भारत को "आलसी भारत कंपनी" की ओर धकेल रही है, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के अंधकारमय इतिहास को दोहरा सकती है।
1. मुफ्तबाजी का जाल: वित्तीय संकट और नष्ट होती महत्वाकांक्षाएं
खाली होता खजाना: पंजाब और दिल्ली जैसे राज्य अपने बजट का 20% सिर्फ बिजली सब्सिडी पर खर्च करते हैं। RBI की चेतावनी: 2027 तक राज्यों का कर्ज GDP का 35% हो जाएगा।
किसानों का संकट: मुफ्त बिजली ने भूजल का दोहन बढ़ाया, जबकि कर्जमाफी ने बैंकों को कमजोर किया।
ईस्ट इंडिया कंपनी की छाया: जिस तरह अंग्रेजों ने भारत की फसलों को नील की खेती के लिए मजबूर किया, आज मुफ्तबाजी युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए मजबूर कर रही है।
आंकड़ा: ASER 2022 के मुताबिक, पंजाब के 72% ग्रामीण युवा उद्यमिता की बजाय सरकारी सहायता चाहते हैं।
2. "आलसी भारत" की पैदाइश: कौशल का अकाल, निर्भरता का उत्सव
बेरोजगार डिग्रियाँ: तमिलनाडु के मुफ्त लैपटॉप योजना से साक्षरता बढ़ी, लेकिन 2023 में सिर्फ 20% ग्रेजुएट्स नौकरी के लायक पाए गए (NITI आयोग)।
दिमागी पलायन: कुशल युवा विदेशों की ओर भाग रहे हैं। 2030 तक भारत को "ब्रेन ड्रेन 2.0" का सामना करना पड़ सकता है।
ऐतिहासिक सबक: अंग्रेजों ने भारतीयों को "आलसी" कहकर शोषण किया, लेकिन असली समस्या अवसरों की कमी थी। आज मुफ्तबाजी युवाओं के सपनों को मार रही है।
3. वैश्विक प्रतिष्ठा का खतरा: "लजीज भारत" से "आलसी भारत" तक
प्रतिस्पर्धा में पिछड़ते भारत: वियतनाम और बांग्लादेश के मजदूर भारत से 40% ज्यादा उत्पादक हैं (वर्ल्ड बैंक, 2023)।
चीन का फायदा: अगर भारत की युवा पीढ़ी निष्क्रिय रही, तो चीन इसका फायदा उठाकर वैश्विक बाजार पर कब्जा कर लेगा।
ईस्ट इंडिया कंपनी का पुनर्जन्म: जैसे अंग्रेजों ने भारत को कच्चे माल का स्रोत बनाया, आज मुफ्तबाजी भारत को विदेशी टेक कंपनियों का बाजार बना देगी।
4. समाधान: इतिहास से सीखकर भविष्य बचाएं
लक्षित सहायता: मुफ्तबाजी की बजाय शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)।
निवेश भविष्य में: AI, ग्रीन एनर्जी और रोजगारपरक शिक्षा को प्राथमिकता दें।
राजनीतिक जिम्मेदारी: FRBM कानून को सख्त करें, ताकि चुनावी लालच में खजाना न लुटे।
स्वतंत्रता संग्राम की सीख: 1947 के बाद भारत ने IIT और ISRO जैसे संस्थान बनाकर खुद को साबित किया। आज फिर उसी जज्बे की जरूरत है।
गुलामी के नए चेहरे से आजादी
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को 200 साल तक गुलाम बनाया। अगर मुफ्तबाजी की संस्कृति नहीं रुकी, तो "आलसी भारत कंपनी" का नया दौर शुरू हो जाएगा। सवाल यह है: क्या भारत फिर से "सोने की चिड़िया" बनेगा, या दुनिया के सामने एक असफल राज्य का उदाहरण?
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