Elon Musk Geopolitics: कैसे स्टारलिंक, नासा और ट्रम्प भारत के $1B बाजार पर कब्ज़ा करने में मददगार बने
एक्सक्लूसिव: एलन मस्क, ट्रम्प की राजनीतिक ताकत और नासा के साथ मिलकर भारत के इंटरनेट बाजार में धमाल मचाने की तैयारी में। क्या मोदी सरकार की नीतियाँ उनके $1B सैटेलाइट साम्राज्य को रोक पाएंगी? जानिए टेक, राजनीति और अंतरिक्ष कूटनीति की जंग की पूरी कहानी।
वाशिंगटन डी.सी. — एलन मस्क, स्पेसएक्स, टेस्ला और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक, भारत के उभरते सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में स्टारलिंक के जरिए दबदबा कायम करने और नासा के साथ महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी राजनीतिक ताकत का सहारा ले रहे हैं। पर्दे के पीछे, मस्क का डोनाल्ड ट्रम्प के राजनीतिक नेटवर्क के साथ बढ़ता तालमेल उनकी इस रणनीति का अहम हिस्सा है, जिसे विश्लेषक "भारत-अमेरिका तकनीकी सहयोग और वैश्विक अंतरिक्ष कूटनीति को पुनर्परिभाषित करने वाला कदम" बता रहे हैं।
स्टारलिंक का भारत अभियान: नियामक चुनौतियाँ और राजनीतिक चालें
मस्क का स्टारलिंक, जो दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने वाला सैटेलाइट नेटवर्क है, भारत के 1.4 अरब लोगों को अपना लक्ष्य बना चुका है। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं:
लाइसेंसिंग की लड़ाई: 2021 में भारत के दूरसंचार विभाग ने बिना लाइसेंस सदस्यता बेचने के आरोप में स्टारलिंक पर रोक लगा दी। इस बीच, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की वनवेब ने मंजूरी पा ली, जिससे स्टारलिंक को भारत के डेटा स्थानीयकरण नियमों का पालन करने में जुटना पड़ा।
मोदी-मस्क डिप्लोमेसी: जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मस्क की मुलाकात ने रिश्तों में सुधार की उम्मीद जगाई। मस्क ने "1 लाख भारतीय गांवों तक स्टारलिंक पहुंचाने" का वादा किया। सूत्रों के मुताबिक, वे अमेरिकी वाणिज्य विभाग पर चीन के सैटेलाइट नेटवर्क के "सामरिक प्रतिद्वंद्वी" के रूप में स्टारलिंक को स्वीकृति दिलाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
ट्रम्प का प्रभाव: 2024 के चुनावों में ट्रम्प के फिर से उम्मीदवार बनने की संभावना को देखते हुए, मस्क ने सीनेटर टेड क्रूज़ जैसे ट्रम्प समर्थकों के साथ संपर्क बढ़ाया है। संभावना है कि ट्रम्प प्रशासन भारत पर व्यापार समझौतों के जरिए दबाव डालकर स्टारलिंक का रास्ता साफ करेगा।
विशेषज्ञ की राय: "मस्क भारत को चीन की 'डिजिटल सिल्क रोड' का जवाब देने वाला बाजार मानते हैं, लेकिन उन्हें दिल्ली की नौकरशाही से लड़ने के लिए वाशिंगटन की ताकत चाहिए," — अरविंद सिंघल, सीएसआईएस।
नासा और स्पेसएक्स: साझेदारी का नया अध्याय
मस्क नासा के साथ स्पेसएक्स की सहयोग को गहरा कर अमेरिकी अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का अटूट हिस्सा बनना चाहते हैं:
चंद्र मिशन: स्पेसएक्स का स्टारशिप 2026 तक नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर ले जाएगा। मस्क भारत को अमेरिकी नेतृत्व वाले आर्टेमिस समझौते में शामिल करने की वकालत कर रहे हैं।
सैटेलाइट टेक्नोलॉजी: नासा और इसरो का संयुक्त उपग्रह NISAR (2024 में लॉन्च) जलवायु डेटा एकत्र करेगा। मस्क का लक्ष्य स्टारलिंक के सैटेलाइट्स को इस डेटा के साथ जोड़कर कृषि और रक्षा के लिए प्लेटफॉर्म बनाना है।
स्पेस फोर्स का साथ: ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित "स्पेस फोर्स" के साथ स्पेसएक्स का पेंटागन को 1.8 अरब डॉलर का स्टारशील्ड प्रोजेक्ट भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग का आधार बन सकता है।
विशेषज्ञ की राय: "मस्क सिर्फ इंटरनेट नहीं बेच रहे—वे अंतरिक्ष और साइबरस्पेस में भारत-अमेरिका की संयुक्त ताकत का सपना दिखा रहे हैं," — डॉ. नम्रता गोस्वामी, अंतरिक्ष नीति विशेषज्ञ।
ट्रम्प कनेक्शन: मस्क की राजनीतिक बीमा
हाल में मस्क के ट्रम्प समर्थन ने चौंकाया है। पहले ट्रम्प के आलोचक रहे मस्क अब उन्हें "व्यवसाय-अनुकूल नेता" बताते हैं। इसके पीछे की गणित साफ है:
2024 चुनाव की रणनीति: ट्रम्प की जीत से स्टारलिंक को FCC की मंजूरी आसान होगी और भारत को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी निर्यात के नियम ढीले होंगे।
चीन का डर: ट्रम्प और मोदी दोनों चीन को प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। मस्क स्टारलिंक को चीन के बेइदौ और हुआवे का "लोकतांत्रिक विकल्प" बता रहे हैं।
विशेषज्ञ की राय: "यह लेन-देन वाला देशभक्ति है। मस्क को भारत में दरवाजे खोलने के लिए ट्रम्प चाहिए, और ट्रम्प को अपनी छवि चमकाने के लिए मस्क की तकनीक," — लॉरा रोसेनबर्गर, पूर्व NSC अधिकारी।
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