Dhanbad Terror: आधी रात दीवार तोड़कर घर में घुसे हाथी, तीन बेटियों ने भागकर बचाई जान, टुंडी में बड़ा विनाश
धनबाद के टुंडी में हाथियों के झुंड ने आधी रात को मौत का तांडव मचाया है जहाँ दलुगोड़ा गांव में दीवारें तोड़कर गजराज घर के भीतर जा घुसे। एक महिला और उसकी तीन मासूम बेटियों की जान बाल-बाल बची है, लेकिन हाथियों ने साल भर की मेहनत की फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया है। पीरटांड़ से आए इन खूंखार हाथियों के अगले हमले और ग्रामीणों के भारी आक्रोश की पूरी हकीकत यहाँ दी गई है।
धनबाद/टुंडी, 19 दिसंबर 2025 – झारखंड के धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड में इन दिनों इंसानों और हाथियों के बीच का संघर्ष चरम पर पहुँच गया है। गुरुवार की देर रात टुंडी के दलुगोड़ा गांव में हाथियों के एक झुंड ने जो उत्पात मचाया, उसने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। कड़ाके की ठंड और घने अंधेरे के बीच हाथियों ने एक गरीब परिवार की झोपड़ी को खंडहर में तब्दील कर दिया। मौत को करीब से देखने वाली तीन बच्चियों और उनकी माँ के लिए वह काली रात किसी खौफनाक सपने से कम नहीं थी। फिलहाल पूरा इलाका दहशत में है और लोग मशालें लेकर रात काट रहे हैं।
इतिहास: छोटानागपुर के पठार और हाथियों का 'एलिफेंट कॉरिडोर'
टुंडी और गिरिडीह का यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से हाथियों का पारंपरिक गलियारा (Elephant Corridor) रहा है। छोटानागपुर के घने जंगलों से होते हुए हाथी सदियों से भोजन और पानी की तलाश में यहाँ से गुजरते रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में जंगलों के कटने और बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप ने हाथियों को हिंसक बना दिया है। जानकार बताते हैं कि जब हाथियों के रास्ते में बाधा आती है, तो वे सीधे रिहायशी इलाकों का रुख करते हैं। दलुगोड़ा की यह घटना उसी बदलते पारिस्थितिकी तंत्र का एक खतरनाक परिणाम है।
दीवार ढही और घर के अंदर जा घुसे गजराज
घटना गुरुवार देर रात की है जब पूरा गांव गहरी नींद में था। तभी पाँच हाथियों का एक झुंड, जिसमें एक नन्हा बच्चा भी शामिल था, डंडाटांड़ के रास्ते गांव में दाखिल हुआ।
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मौत की आहट: हाथियों ने सीधे रामलाल मुर्मू के घर को निशाना बनाया। हाथियों ने अपने भारी भरकम शरीर से घर की दीवार को धक्का देकर गिरा दिया।
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बाल-बाल बची जान: रामलाल मुर्मू काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे। घर के अंदर उनकी पत्नी चंदोली मुर्मू और तीन छोटी बेटियां सो रही थीं। दीवार गिरने की आवाज सुनते ही माँ ने साहस दिखाया और बेटियों को लेकर दूसरे कमरे के रास्ते बाहर भाग निकली। अगर कुछ सेकंड की भी देरी होती, तो यह एक बड़ी त्रासदी हो सकती थी।
साल भर की कमाई 'धान' को किया चट
दीवार तोड़ने के बाद हाथियों ने घर के भीतर रखे अनाज के भंडार पर हमला किया।
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फसल की बर्बादी: हाथियों ने बोरे में रखी साल भर की मेहनत की धान की फसल खा ली।
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सब कुछ किया तहस-नहस: जो अनाज हाथी खा नहीं पाए, उसे उन्होंने पूरे कमरे में बिखेर दिया और घर के बर्तनों व सामान को कुचल दिया।
टुंडी में हाथियों का रिपोर्ट कार्ड
| विवरण | जानकारी |
| हाथियों की संख्या | 05 (01 बच्चा सहित) |
| प्रवेश मार्ग | पीरटांड़ (गिरिडीह) से पश्चिमी टुंडी |
| प्रभावित गांव | दलुगोड़ा, डंडाटांड़ |
| मुख्य नुकसान | रामलाल मुर्मू का घर और धान की फसल |
| अगला पड़ाव | चीना पहाड़ी की ओर |
मशाल लेकर निकले ग्रामीण, प्रशासन से मुआवजे की मांग
हाथियों की चिंघाड़ सुनकर पूरा गांव जाग गया। ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा के लिए पारंपरिक तरीके अपनाए—ढोल-नगाड़े बजाए और हाथों में मशाल लेकर हाथियों को घेरने की कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद हाथियों का झुंड गांव से निकलकर चीना पहाड़ी की ओर चला गया।
शुक्रवार सुबह भाजपा टुंडी मंडल अध्यक्ष गोविन्द टुडू पीड़ित परिवार से मिलने पहुँचे। उन्होंने परिवार की दयनीय स्थिति देखकर वन विभाग और जिला प्रशासन से तत्काल राहत की मांग की। उन्होंने कहा कि परिवार के पास अब न तो सिर छिपाने की छत बची है और न ही खाने के लिए अनाज। उन्होंने तत्काल गर्म कपड़े और फसल मुआवजे की मांग की है।
दहशत का साया और वन विभाग की सुस्ती
टुंडी के लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक वे इस तरह मौत के साये में जिएंगे? हाथियों का पीरटांड़ से टुंडी तक का यह सफर कोई नया नहीं है, फिर भी वन विभाग के पास हाथियों को रोकने या ग्रामीणों को सुरक्षा देने का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। जब तक प्रशासन कोई ठोस रणनीति नहीं बनाता, दलुगोड़ा जैसे गांवों के लोग हर रात इसी डर के साथ सोएंगे कि शायद अगली सुबह वे अपनी छतों के नीचे न हों।
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