Chakradharpur Raid: बाल तस्करी का खुलासा! चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर नाबालिग समेत 5 श्रमिकों का रेस्क्यू, आंध्र प्रदेश ले जा रहे मानव तस्कर को दबोचा
बाल संरक्षण विभाग की टीम ने चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन से एक 14 वर्षीय बाल श्रमिक समेत 5 श्रमिकों को आंध्र प्रदेश ले जा रहे उदाथा सुकेश को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया। लालच देकर मजदूरी कराने की तैयारी थी। आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा।
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले से मानव तस्करी का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर बुधवार को चलाए गए एक विशेष अभियान में बाल संरक्षण विभाग की टीम ने न सिर्फ एक 14 वर्षीय मासूम बाल श्रमिक को बचाया, बल्कि उन्हें आंध्र प्रदेश ले जा रहे एक मानव तस्कर को भी गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी एक बार फिर उन अदृश्य रास्तों की ओर इशारा करती है, जिनके जरिए झारखंड के गरीब मजदूरों को देश के दूरस्थ राज्यों में बंधुआ मजदूर बनाने के लिए भेजा जाता है।
इतिहास गवाह है कि झारखंड के पिछड़े इलाकों के लोग बेहतर जीवन और रोजगार की तलाश में सदियों से पलायन करते रहे हैं, लेकिन इसका फायदा हमेशा मानव तस्करों ने उठाया है। आज का यह रेस्क्यू अभियान प्रशासन की सक्रियता को दर्शाता है।
प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर संदिग्ध गतिविधि
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के निर्देश पर फोर रूलर एक्शन की कर्रा सोसाइटी टीम की जिला समन्वयक चांदमुनी कालुंडिया के नेतृत्व में, रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों और आरपीएफ व जीआरपी के संयुक्त सहयोग से यह बड़ा अभियान चलाया गया।
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रेस्क्यू: कार्रवाई के दौरान चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर एक नाबालिग समेत 5 श्रमिकों को संदेहास्पद स्थिति में देखकर टीम ने उनसे पूछताछ शुरू की।
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पहचान: पूछताछ में पता चला कि आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले का 27 साल का उदाथा सुकेश इन सभी श्रमिकों को बिना किसी सरकारी प्रक्रिया पूरी किए मजदूरी कराने के लिए फैशन बिल्डिंग मटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड, चिल्लाकुर गुडुरु, आंध्र प्रदेश ले जा रहा था।
पैसे और रोजगार का लालच
उदाथा सुकेश ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वह इन श्रमिकों को पैसे और रोजगार का झूठा लालच देकर बहला-फुसलाकर फैक्ट्री ले जाने की तैयारी में था।
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पीड़ितों की विवरण: जिन श्रमिकों का रेस्क्यू किया गया उनमें एक 14 साल का बाल श्रमिक भी शामिल है। बाकी चार वयस्कों की पहचान गोविंद चातर (32), लक्ष्मण चातर (32), साल बाबु लागुरी (18) और सिदीऊ लागुरी (20) के रूप में हुई है।
टीम ने तत्काल सभी श्रमिकों को रेस्क्यू करके उन्हें सुरक्षित अभिरक्षा में ले लिया और आरोपी सुकेश को चक्रधरपुर रेल थाना के हवाले कर दिया। बाल संरक्षण अधिकारी ने जीआरपी थाना प्रभारी सुहैल खां को प्राथमिकी दर्ज करके आरोपी पर बाल श्रम एवं बाल तस्करी से संबंधित कड़ी धाराओं में कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
यह मामला झारखंड से हो रही मानव तस्करी के गहरे और खतरनाक जाल को दर्शाता है। सवाल यह है कि रेलवे स्टेशनों पर बिना किसी वैध प्रक्रिया के नाबालिगों को ले जाना कितना आसान है, और ऐसे कितने लोग रोजगार के नाम पर मानव तस्करी का शिकार हो रहे होंगे?
आपकी राय में, झारखंड से होने वाली मानव तस्करी को रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल और सरकारी विभागों को कौन से दो नए तकनीकी उपाय शुरू करने चाहिए?
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