Chaibasa Tragedy : 16 वर्षीय छात्रा की सदर अस्पताल में दर्दनाक मौत, परिजनों में रोष
चाईबासा सदर अस्पताल में 16 वर्षीय छात्रा मिनी बिरूवा की इलाज के दौरान मौत से परिजनों में आक्रोश। अस्पताल की लापरवाही और बेड की कमी पर उठे गंभीर सवाल।

Chaibasa: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक बेहद दुखद और हृदय विदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। चाईबासा सदर अस्पताल में रविवार को 16 वर्षीय छात्रा मिनी बिरूवा की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना ने न सिर्फ परिजनों बल्कि पूरे इलाके में अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अचानक बिगड़ी तबीयत और अस्पताल में लापरवाही
जानकारी के अनुसार, मिनी की तबीयत अचानक रविवार को बिगड़ गई। परिजन उसे तुरंत सदर अस्पताल लेकर आए। लेकिन अस्पताल में बेड की कमी के कारण मिनी को जमीन पर ही लेटाकर इलाज करना पड़ा। परिजनों का आरोप है कि इस दौरान उचित इलाज नहीं दिया गया, जिससे छात्रा की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और अंततः उसने दम तोड़ दिया।
परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते उचित चिकित्सा और बेड की उपलब्धता होती, तो उनकी बेटी की जान बच सकती थी। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के लिए सवाल उठाए।
अस्पताल प्रबंधन पर उठे गंभीर सवाल
चाईबासा सदर अस्पताल पहले भी अपने लचर स्वास्थ्य व्यवस्थापन के लिए सुर्खियों में रहा है। पिछले कुछ वर्षों में अस्पताल में बेड की कमी, डॉक्टरों की अनुपलब्धता और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की कमी की शिकायतें लगातार सामने आई हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि गंभीर बीमारियों या आपात स्थिति में अक्सर मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता। इसी कारण, मिनी बिरूवा की मौत ने स्थानीय लोगों के बीच अस्पताल के प्रति आक्रोश और असंतोष को और बढ़ा दिया है।
परिजनों की मांग और आक्रोश
मिनी के परिजन ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी लापरवाही से किसी अन्य मरीज की जान न जाए। परिजनों का आक्रोश इतना है कि उन्होंने मामले को मीडिया और स्थानीय प्रशासन के सामने उजागर किया है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि यह घटना केवल मिनी तक सीमित नहीं है। अस्पताल में ऐसी कई घटनाएं पहले भी सामने आई हैं, जब बेड या डॉक्टर की कमी के कारण मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ
चाईबासा सदर अस्पताल पश्चिमी सिंहभूम जिले का सबसे बड़ा चिकित्सा केंद्र है। यह अस्पताल वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं के मुख्य केंद्र के रूप में कार्यरत है। लेकिन अस्पताल की बढ़ती जनसंख्या और संसाधनों की कमी ने इसे कई बार आलोचना का केंद्र बना दिया है।
इतिहास में भी देखा जाए तो गंभीर आपात परिस्थितियों में अस्पताल की सुपरविजन और संसाधनों की कमी ने कई बार मरीजों के जीवन पर खतरा पैदा किया है। मिनी की मौत ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है।
प्रशासन की जिम्मेदारी और आगे की कार्रवाई
प्रशासन ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है। अब देखना यह है कि सदर अस्पताल में बेड की उपलब्धता, डॉक्टरों की संख्या और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आपातकालीन चिकित्सा प्रोटोकॉल और पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है।
मिनी बिरूवा की दुखद मौत ने चाईबासा और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सुधार और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं केवल कागज पर नहीं बल्कि जमीन पर लागू होना चाहिए।
परिजनों, स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नजर अब प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी है, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सके।
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