Chaibasa Elephant Attack: चाईबासा में 45 हाथियों के झुंड से दहशत, खेतों में फसल रौंदी, ग्रामीण रात भर जागकर कर रहे हैं सुरक्षा
पश्चिमी सिंहभूम के जगन्नाथपुर क्षेत्र में 45 जंगली हाथियों के विशाल झुंड ने आतंक मचा रखा है। हाथी तीन गुटों में बंटकर लगातार गांवों की ओर बढ़ रहे हैं और धान की फसल को रौंद रहे हैं। ग्रामीण और वन विभाग पटाखे फोड़कर हाथियों को भगाने का प्रयास कर रहे हैं।
चाईबासा, 22 नवंबर 2025 – झारखंड (Jharkhand) के पश्चिमी सिंहभूम (West Singhbhum) जिले के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में इन दिनों जंगली हाथियों (Wild Elephants) का आतंक (Terror) चरम पर है। बेलपोसी गांव स्थित दरोगा पुलिया के पास करीब 45 हाथियों (45 Elephants) का एक विशाल झुंड (Massive Herd) देखे जाने के बाद पूरे इलाके में खौफ और दहशत (Fear and Panic) का माहौल है। सुबह 8 बजे से ही हाथियों की चिंघाड़ (Trumpeting) लगातार पूरे क्षेत्र में गूंज रही है, जिसके कारण लोगों की आवाजाही (Movement) पूरी तरह बाधित हो गई है। जंगलों के कटने और मानव बस्ती के विस्तार (Encroachment) के चलते हाथियों का गांवों की ओर रुख करना अब इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या (Major Problem) बन चुकी है।
विशाल झुंड तीन गुटों में बंटा, फसलों को भारी नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों के इस विशाल झुंड में कई छोटे (Calves) हाथी भी शामिल हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर हाथी और अधिक आक्रामक (Aggressive) हो सकते हैं।
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विभाजन: हाथियों का यह झुंड तीन अलग-अलग हिस्सों में बंटकर बेलपोसी, बनकाटी, जैंतगढ़ और आसपास के अन्य दर्जनों गांवों के खेतों और आबादी की ओर लगातार बढ़ रहा है।
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किसानों की चिंता: किसानों की चिंता सबसे अधिक है, क्योंकि हाथी खेतों में लगी पकी हुई धान की फसल (Paddy Crops) को रौंद कर भारी नुकसान (Heavy Damage) पहुंचा रहे हैं। बेलपोसी नाला के करीब सुरक्षित मार्ग न मिलने के कारण हाथियों का भटकना (Wandering) जारी है।
ग्रामीण और वन विभाग ने शुरू की जंग
इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए बेलपोसी, बनकाटी, जैंतगढ़, मानिकपुर, पदमपुर, देवगांव समेत दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीण (Thousands of Villagers) मौके पर एकत्र हो गए हैं।
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खदेड़ने का प्रयास: ग्रामीण वन विभाग (Forest Department) के कर्मचारियों के साथ मिलकर हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने (Chasing Away) का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए परंपरागत तरीकों जैसे पटाखे फोड़ने (Firecrackers) और टीन बजाकर शोर करने का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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रात भर जागरूकता: चूंकि यह विशाल झुंड पिछले एक सप्ताह से भोजन (Food) की तलाश में गांवों के आसपास ही मंडरा रहा है, इसलिए ग्रामीण इस बात से आशंकित (Apprehensive) हैं कि हाथी कभी भी सीधे आबादी (Human Settlements) का रुख कर सकते हैं। इसी डर से लोग रात भर जागकर अपने घरों और फसलों की सुरक्षा में लगे हुए हैं।
यह मानव-हाथी संघर्ष (Man-Elephant Conflict) का एक गंभीर मामला है, जिसके लिए स्थायी समाधान (Permanent Solution) की आवश्यकता है। वन विभाग को हाथियों को उनके प्राकृतिक वास (Natural Habitat) की ओर सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।
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