सरायकेला में बीजेपी में बढ़ी दरार, पार्टी की एकता पर संकट

सरायकेला में बीजेपी में पुराने और नए कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती अंतर्कलह पार्टी की एकता को खतरे में डाल रही है। इस विभाजन का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। पार्टी नेतृत्व के सामने बड़ा संकट है।

Sep 8, 2024 - 18:26
Sep 8, 2024 - 19:10
 0
सरायकेला में बीजेपी में बढ़ी दरार, पार्टी की एकता पर संकट
सरायकेला में बीजेपी में बढ़ी दरार, पार्टी की एकता पर संकट

सरायकेला, 8 सितंबर 2024 - भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सरायकेला संगठन में इन दिनों बढ़ती अंतर्कलह ने पार्टी की एकता को गंभीर चुनौती दी है। लंबे समय से पार्टी के लिए काम करने वाले पुराने कार्यकर्ता और हाल ही में पार्टी में शामिल हुए नए सदस्य, दोनों के बीच एक बड़ा विवाद उभरकर सामने आया है। इस अंतर्कलह ने पार्टी की जमीनी एकता को खतरे में डाल दिया है, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में साफ नजर आ सकता है।

बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता, जो पार्टी की रीढ़ माने जाते थे, और नए कार्यकर्ता, जो हाल ही में पार्टी से जुड़े हैं, दोनों अपने-अपने तरीके से पार्टी के हिंदुत्व एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन इस विभाजन ने पार्टी की एकता को खतरनाक तरीके से कमजोर कर दिया है। नए कार्यकर्ता पार्टी के एजेंडे को नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके एकतरफा फैसलों ने पुराने कार्यकर्ताओं को हाशिए पर ला दिया है।

इस आंतरिक विभाजन से पार्टी के चुनावी समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। चंपाई सोरेन, जो कामाख्या मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का दौरा करके अपनी हिंदुत्व की छवि को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए यह आंतरिक कलह एक गंभीर चुनौती बन गई है। नए कार्यकर्ता गणपति उत्सव जैसे कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं, जबकि पुराने कार्यकर्ता इन गतिविधियों से गायब नजर आ रहे हैं।

सबसे बड़ा खतरा पार्टी को भीतरघात का है। यदि पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर नहीं की गई, तो चंपाई सोरेन जैसे नेताओं को आगामी चुनावों में गंभीर नुकसान हो सकता है। यह असंतोष भीतरघात का रूप ले सकता है, जहां पुराने कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ गुप्त रूप से काम कर सकते हैं।

पार्टी के भीतर एकता लाने के लिए संवाद की कमी ने हालात को और बिगाड़ दिया है। पुराने कार्यकर्ता महसूस कर रहे हैं कि उनकी वर्षों की मेहनत को अब नज़रअंदाज किया जा रहा है, जबकि नए कार्यकर्ता अपनी पहचान बनाने की होड़ में हैं।

इस स्थिति को लेकर भजपाइयों का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से मिला और जिलाध्यक्ष के खिलाफ नाराजगी जताई। उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगाया और एक मांग पत्र सौंपा है। अब देखना होगा कि पार्टी इस नाराजगी को कैसे दूर करती है। अगर पार्टी इसमें सफल नहीं होती, तो सरायकेला सीट पर उसकी स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।