झारखंड चुनाव में बंगाली समाज की अनदेखी: राजनीतिक दलों को चुकानी पड़ेगी कीमत

झारखंड विधानसभा चुनाव में बंगाली समाज की अनदेखी का मामला गंभीर हो गया है। बांग्ला संगठनों ने एकजुट होकर राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है।

Oct 17, 2024 - 17:27
 0
झारखंड चुनाव में बंगाली समाज की अनदेखी: राजनीतिक दलों को चुकानी पड़ेगी कीमत
झारखंड चुनाव में बंगाली समाज की अनदेखी: राजनीतिक दलों को चुकानी पड़ेगी कीमत

झारखंड: 17 अक्टूबर 2024 को, झारखंड के बंगाली समाज की अनदेखी और उपेक्षा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए भारी पड़ सकती है। यह चेतावनी झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के एक संवाददाता सम्मेलन में दी गई। इस समिति में राज्य के चौबीस जिलों के 30 से अधिक बांग्ला संगठनों का समावेश है।

समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य गठन के बाद से पिछले 24 वर्षों में, शासन और सत्ता द्वारा बांग्ला भाषा और संस्कृति को समाप्त करने का कुटिल प्रयास किया गया है। इस उपेक्षा से क्षुब्ध होकर, झारखंड का बंगाली समाज पिछले दो वर्षों से एकजुट होकर आंदोलन कर रहा है।

इस आंदोलन की शुरुआत 19 मार्च 2022 को जमशेदपुर के गोपाल मैदान में आयोजित बंग उत्सव से हुई। इस कार्यक्रम में लाखों बांग्ला भाषियों ने भाग लिया। इस उत्सव के दौरान, बंगाली समाज ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे अपनी भाषा और संस्कृति के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

इसके बाद रांची में बंग सम्मेलन और बांग्ला सांस्कृतिक मेला का आयोजन किया गया। इसी क्रम में रामगढ़ में झारखंड बंगाली समिति का राज्यधिवेशन भी हुआ। दुमका में बांग्ला भाषा पर सेमिनार आयोजित किया गया। सभी 24 जिलों के उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।

आगामी 11 दिसंबर 2023 को रांची में विशाल प्रदर्शन करने की योजना बनाई गई है। इस प्रदर्शन में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। समिति ने झारखंड के सभी राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्षों को पत्र लिखकर बांग्ला भाषियों को टिकट देने की मांग की है।

हालांकि, अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। झारखंड की कुल आबादी में 42 प्रतिशत लोग बांग्ला भाषी हैं, जो कि लगभग एक करोड़ 30 लाख हैं। इस बड़े समुदाय की अनदेखी करने वाले राजनीतिक दलों को इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

बंगाली समाज ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी अगली रणनीति तैयार करने की योजना बनाई है। समिति की कोर कमिटी की बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी, जिसमें चुनावी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इस बार, बंगाली समाज ने ठान लिया है कि वे अपनी आवाज उठाएंगे और अपनी पहचान की रक्षा करेंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।