साकची गोलचक्कर में भाजपा नेता अभय सिंह ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख और कट्टरपंथी संगठनों का पुतला जलाया

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के विरोध में साकची गोलचक्कर पर भाजपा नेता अभय सिंह के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन, सेना प्रमुख और कट्टरपंथी संगठनों का पुतला जलाया।

Aug 7, 2024 - 22:50
साकची गोलचक्कर में भाजपा नेता अभय सिंह ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख और कट्टरपंथी संगठनों का पुतला जलाया
साकची गोलचक्कर में भाजपा नेता अभय सिंह ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख और कट्टरपंथी संगठनों का पुतला जलाया

जमशेदपुर: बांग्लादेश में हो रहे दंगों और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के विरोध में भाजपा नेता और केंद्रीय रामनवमी अखाड़ा समिति के संरक्षक अभय सिंह के नेतृत्व में साकची गोलचक्कर पर बांग्लादेश के सेना प्रमुख और कट्टरपंथी संगठन जमायते इस्लामी का पुतला जलाया गया। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

प्रदर्शन का उद्देश्य:

भाजपा नेता अभय सिंह ने विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद चरमपंथी और कट्टरवादी तत्वों द्वारा हिंदुओं के घरों पर हमले हो रहे हैं, मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है और व्यापारिक संपत्तियों को लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से हिंदुस्तान में रहने वाले सभी हिंदुओं में रोष है और दुनिया के लोगों से अपील की कि वे ढाका में दबाव बनाएं ताकि वहां की चरमपंथी ताकतों को नेस्तनाबूत किया जा सके।

इतिहास और वर्तमान स्थिति:

श्री सिंह ने अपने भाषण में बताया कि इतिहास गवाह है कि जिस स्थान पर हमले हो रहे हैं, वह कभी भारत का अभिन्न अंग था और 1971 में बांग्लादेश का जन्म भारत की मदद से हुआ था। उन्होंने कहा कि यदि भारत की सरकार उस समय बांग्लादेश के समर्थन में नहीं खड़ी होती तो शायद आज वहां की जनता और भी बड़ी मुसीबतों का सामना कर रही होती।

उन्होंने आगे बताया कि 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद वहां के स्कूलों में भारत की मदद की कहानी और पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता था, लेकिन बाद में चरमपंथी ताकतों के कारण इसे हटा दिया गया।

समझौते और हमले:

श्री सिंह ने बताया कि 8 अप्रैल 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हो या 1971 में शेख मुजीबुर रहमान-इंदिरा गांधी का समझौता, सभी में बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा का संकल्प था। परंतु समय-समय पर पाकिस्तान और बांग्लादेश ने इसे नजरअंदाज किया और प्रायः हिंदुओं पर हमले होते रहे।

प्रदर्शन का प्रभाव:

जुलूस में शामिल लोग 'बांग्लादेश मुर्दाबाद' और 'हिंदुओं के साथ अत्याचार बंद करो' के नारे लगा रहे थे। इस घटना ने जमशेदपुर में भी हिंदूवादी संगठनों को सक्रिय कर दिया है और वे बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए भारत सरकार और नाटो से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

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