Baharagora Rescue: गुजरात में 'बंधक' बने 13 मजदूर लौटे घर! CM सोरेन के हस्तक्षेप से मिली आजादी
पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा से 13 मजदूर गुजरात की एजिलिस विट्रिफाइड प्राइवेट लिमिटेड से सुरक्षित घर लौट आए। पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी की पहल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के त्वरित हस्तक्षेप से कंपनी के उत्पीड़न से त्रस्त मजदूरों को 'बंधक जैसी' स्थिति से मुक्ति मिली।

पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड की मटिहाना पंचायत से शुक्रवार को एक ऐसी खबर आई है, जिसने कई परिवारों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है। गुजरात के बेला स्थित एक कंपनी में उत्पीड़न का शिकार हो रहे 13 मजदूर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी के त्वरित हस्तक्षेप से सुरक्षित अपने घर लौट आए हैं। यह घटना एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के सामने आने वाले बंधुआ मजदूरी और उत्पीड़न की भयावह सच्चाई को उजागर करती है।
भारत में खासकर गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में, झारखंड के मजदूर अक्सर बेहतर जीवन की तलाश में पलायन करते हैं। लेकिन वहां उन्हें अक्सर कम वेतन, अमानवीय कार्य परिस्थितियों और शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ कंपनियां मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें 'बंधक जैसी' स्थिति में रखती हैं। लेकिन इस बार, झारखंड सरकार और स्थानीय नेतृत्व की तत्परता ने 'बंधुआ' बन चुके इन मजदूरों को जल्द ही आजादी दिलाई।
कंपनी में झेल रहे थे उत्पीड़न और प्रताड़ना
जानकारी के अनुसार, मटिहाना पंचायत के ये मजदूर पिछले कई महीनों से गुजरात के बेला स्थित एजिलिस विट्रिफाइड प्राइवेट लिमिटेड में काम कर रहे थे। वहां उन्हें लगातार उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ रहा था।
जब मजदूर इस प्रताड़ना से तंग आकर अपने घर वापस लौटने की इच्छा जताई, तो कंपनी प्रबंधन ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। मजदूरों के परिजनों ने बताया कि प्रबंधन ने उन्हें बंधक जैसी स्थिति में रखा, जिससे वे अपनी इच्छा से कंपनी छोड़कर नहीं जा पा रहे थे।
CM सोरेन का त्वरित हस्तक्षेप लाया रंग
परेशान मजदूरों ने किसी तरह अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी। परिजनों ने तुरंत पूर्व विधायक और झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी से मदद की गुहार लगाई।
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कुणाल षाड़ंगी की पहल: कुणाल षाड़ंगी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल सोशल मीडिया (ट्विटर) के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूरी स्थिति से अवगत कराया और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
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CM का निर्देश: मुख्यमंत्री ने तुरंत मामले का संज्ञान लेते हुए उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।
इसके बाद, झारखंड प्रशासन ने तुरंत गुजरात प्रशासन से समन्वय स्थापित किया। दोनों राज्यों के प्रशासन के लगातार प्रयासों के बाद, 13 मजदूर शुक्रवार को सुरक्षित अपने घर बहरागोड़ा लौट आए।
घर वापसी पर खुशी और पीड़ा का साझा
मजदूरों के लौटने से उनके परिवारों और पूरे गांव में खुशी का माहौल छा गया। पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मजदूरों से मिलकर उनकी पीड़ा सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि वे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने साफ कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यह सफल रेस्क्यू ऑपरेशन दिखाता है कि अगर राज्य प्रशासन और जनप्रतिनिधि संवेदनशील हों, तो प्रवासी मजदूरों के संकट को समय रहते दूर किया जा सकता है।
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