Ahmedabad: Fake ID से खोले बैंक खातों पर ED का शिकंजा, महाराष्ट्र-गुजरात में छापेमारी से बड़ा खुलासा

अहमदाबाद में फर्जी आईडी से बैंक खातों के माध्यम से अवैध लेनदेन के खुलासे के बाद ED की बड़ी कार्रवाई, महाराष्ट्र और गुजरात के कई स्थानों पर छापेमारी, जानें पूरी खबर।

Nov 14, 2024 - 13:49
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Ahmedabad: Fake ID से खोले बैंक खातों पर ED का शिकंजा, महाराष्ट्र-गुजरात में छापेमारी से बड़ा खुलासा
Ahmedabad: Fake ID से खोले बैंक खातों पर ED का शिकंजा, महाराष्ट्र-गुजरात में छापेमारी से बड़ा खुलासा

14 नवंबर 2024, अहमदाबाद। आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में Enforcement Directorate (ED) ने फर्जी आईडी के जरिए बैंक खातों का दुरुपयोग करने के आरोप में गुजरात और महाराष्ट्र के कई स्थानों पर व्यापक छापेमारी अभियान शुरू किया है। इस छापेमारी का मुख्य फोकस फर्जी केवाईसी के जरिए खुले बैंक खातों से जुड़े बड़े पैमाने पर अवैध लेनदेन पर है।

छापेमारी की शुरुआत और टार्गेट स्थान

ईडी ने अहमदाबाद के 13 और सूरत के 3 स्थानों पर छापेमारी की है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में मालेगांव के 2, नासिक के एक और मुंबई के 5 स्थानों पर भी ईडी की टीम ने अपना अभियान चलाया। ईडी का यह अभियान महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान हुए तथाकथित “वोट जिहाद” के आरोपों के बाद उठाए गए कदमों का हिस्सा है, जिसमें आरोप है कि बड़े पैमाने पर आर्थिक लेनदेन और फर्जी आईडी से खोले गए बैंक खातों के जरिए चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी।

क्या है “वोट जिहाद” मामला और कैसे आया ED के रडार पर?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान "वोट जिहाद" का मामला तब सामने आया था, जब आरोप लगे कि कुछ खास राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नकली पहचान के आधार पर बैंक खाते खोले गए थे। इन खातों के माध्यम से बड़ी मात्रा में अवैध पैसे का लेनदेन किया गया और राजनीतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय धांधली की गई। ईडी ने जानकारी दी है कि इन फर्जी खातों के जरिये बड़ी रकम का हस्तांतरण किया गया, जिससे बैंकिंग सिस्टम का गंभीर दुरुपयोग हुआ।

नकली केवाईसी से खुले बैंक खाते: कैसे हुआ बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग?

जानकारी के अनुसार, बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए फर्जी केवाईसी (KYC) के आधार पर बैंक खाते खोलने का मामला सामने आया। फर्जी पहचान का उपयोग कर ये खाते केवल अवैध लेनदेन के लिए बनाए गए थे, और इसका उद्देश्य किसी खास राजनीतिक लाभ उठाना था।

ईडी के सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में न केवल वित्तीय गड़बड़ी बल्कि जनप्रतिनिधित्व और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की भी कोशिश की गई है। चुनावों के दौरान लोगों का मत प्रभावित करने के लिए जो अवैध तरीकों से धन का लेनदेन किया गया, वह बैंकिंग सिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा है।

अहमदाबाद और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर दस्तावेज जब्त

ईडी की छापेमारी में अब तक अहमदाबाद, सूरत, मालेगांव, नासिक और मुंबई के कई स्थानों पर जांच के दौरान दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इन दस्तावेजों से उन लोगों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जो इस धोखाधड़ी में संलिप्त हैं।

इस छापेमारी के दौरान जिन बड़े नामों का खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है, उनमें कई प्रतिष्ठित एजेंसियां और कंपनियां शामिल हो सकती हैं।

बड़े नाम और कंपनियां जांच के दायरे में

सूत्रों का कहना है कि इस मामले में न केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी करने वाले बल्कि कई एजेंसियां और फर्म भी जांच के दायरे में आ सकती हैं। इन संस्थाओं के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसे किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े से बचा जा सके।

ED की कार्रवाई का उद्देश्य

ईडी का यह कदम न केवल फर्जी आईडी से बैंकिंग सिस्टम को ठगने वाले लोगों को पकड़ने के लिए है, बल्कि इसका उद्देश्य भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है। यह छापेमारी अभियान दिखाता है कि वित्तीय गड़बड़ी से जुड़े मामले गंभीरता से लिए जा रहे हैं और दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात में चल रही इस छापेमारी ने फर्जी बैंक खातों और अवैध लेनदेन के पीछे छिपे साजिशों को उजागर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि कैसे आर्थिक भ्रष्टाचार, वोट जिहाद जैसे मामलों में लोकतंत्र के मूल तत्वों पर हमला किया जा सकता है। ईडी की इस जांच के नतीजे आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे कर सकते हैं, जो देश के बैंकिंग और चुनावी प्रणाली के लिए एक सुधार का संकेत बन सकते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।