Adityapur Notice Controversy: ईडब्ल्यूएस और डब्ल्यू टाइप फ्लैट खाली कराने के नोटिस पर बवाल, मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू तक पहुंचा मामला!
आदित्यपुर के ईडब्ल्यूएस और डब्ल्यू टाइप फ्लैट्स के निवासियों को घर खाली करने का नोटिस दिया गया, जिससे सैकड़ों परिवार संकट में आ गए। पूर्व पार्षद रंजन सिंह और विधायक सविता महतो ने मंत्री से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की। क्या गरीबों के घर बच पाएंगे?

झारखंड के आदित्यपुर में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आवास बोर्ड द्वारा वर्षों पूर्व बनाए गए ईडब्ल्यूएस और डब्ल्यू टाइप फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को घर खाली करने का नोटिस जारी किया गया है। इस फैसले से इलाके में हड़कंप मच गया है, और लोग इसे गरीबों के साथ अन्याय बता रहे हैं।
शनिवार को आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 18 के पूर्व पार्षद रंजन सिंह ने ईचागढ़ की विधायक सविता महतो के साथ विभागीय मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से मुलाकात की। इस दौरान झामुमो जिला संयोजक काबलू महतो भी मौजूद रहे। पूर्व पार्षद ने मंत्री को इस गंभीर समस्या की पूरी जानकारी दी, जिस पर मंत्री ने तुरंत आवास बोर्ड के एमडी को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
ईडब्ल्यूएस और डब्ल्यू टाइप फ्लैट्स पर क्यों आया संकट?
आवास बोर्ड द्वारा बनाए गए ये फ्लैट्स गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय लोगों के लिए आवंटित किए गए थे। यह योजना झारखंड में शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। लेकिन अब, सरकार इन्हें "कंडम" घोषित कर चुकी है और वहां रहने वालों को नोटिस थमा दिया गया है।
गरीबों के लिए संघर्ष: नेता बने सहारा
जब नोटिस मिला, तो वहां रहने वाले सैकड़ों परिवार भय और चिंता में डूब गए। कोई नहीं जानता कि वे जाएंगे तो कहां जाएंगे? पूर्व पार्षद रंजन सिंह ने तुरंत विधायक सविता महतो से संपर्क किया। विधायक ने उन्हें भरोसा दिया कि इस मुद्दे को सरकार के सामने रखा जाएगा और गरीबों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
यह पहला मौका नहीं था जब इस मुद्दे पर आवाज उठाई गई। पूर्व में, तत्कालीन मंत्री हफीजुल हसन से भी इस विषय पर चर्चा हुई थी। तब भी विधायक सविता महतो के नेतृत्व में रंजन सिंह और संतोष सिंह प्रभावित परिवारों के साथ गए थे। मंत्री हफीजुल हसन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आवास बोर्ड के एमडी को तत्काल संज्ञान लेने का निर्देश दिया था। लेकिन मंत्री बदलने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
अब दोबारा जगी उम्मीद!
अब, जब फिर से इस मुद्दे को उठाया गया है, तो ईडब्ल्यूएस और डब्ल्यू टाइप फ्लैट्स में रहने वाले परिवारों की उम्मीदें जागी हैं। विधायक सविता महतो ने स्पष्ट कहा कि झारखंड सरकार गरीबों के साथ अन्याय नहीं होने देगी और इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाएगी।
इतिहास में ऐसे मामले पहले भी आए हैं
भारत में झुग्गी-झोपड़ियों और निम्न आय वर्गीय आवासों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है।
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दिल्ली में झुग्गी हटाने को लेकर कई बार बड़े प्रदर्शन हुए हैं।
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मुंबई में धारावी पुनर्विकास योजना को लेकर दशकों से बहस जारी है।
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कोलकाता में भी बस्ती हटाने को लेकर सरकार और जनता के बीच संघर्ष हुआ।
आदित्यपुर में चल रही इस लड़ाई का भविष्य क्या होगा, यह तो समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि अगर सरकार उचित समाधान नहीं निकालती, तो यह मामला बड़ा आंदोलन बन सकता है।
सरकार को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करनी चाहिए। सिर्फ नोटिस जारी कर देना हल नहीं है। लोग अगर घर छोड़ेंगे, तो वे जाएंगे कहां? इस पर भी सरकार को सोचना चाहिए।
क्या लोग अपने घर बचा पाएंगे?
फिलहाल, इस मुद्दे पर मंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार गरीबों की सुनेगी या उन्हें बेघर कर दिया जाएगा?
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