Bokaro Water Crisis: विश्व जल दिवस पर जागरूकता संगोष्ठी, दामोदर को बचाने का संकल्प!
बोकारो में विश्व जल दिवस पर संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने दी चेतावनी- अगर ग्लेशियर पिघले तो पूरी दुनिया में तबाही तय! झारखंड में जल संकट के बढ़ते खतरे और समाधान पर हुई गहन चर्चा। पढ़ें पूरी खबर।

बोकारो: जल संकट दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन चुका है, और अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो यह संकट विकराल रूप ले सकता है। विश्व जल दिवस के मौके पर बोकारो के आशा लता केंद्र, सेक्टर 5 में युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, जल जागरूकता अभियान और दामोदर बचाओ आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन पर गहन चर्चा की गई।
ग्लेशियर पिघलने का मतलब विनाश!
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू राय ने कहा कि जल संकट की गंभीरता को समझने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि धरती पर कुल जल का केवल 3% ही पीने योग्य है, जिसमें से 2% ग्लेशियर के रूप में जमा हुआ है। अगर ग्लेशियर पिघलते रहे, तो समुद्र का जलस्तर 60 मीटर तक बढ़ सकता है, जिससे भयानक बाढ़ और ऐतिहासिक सूखा देखने को मिलेगा। इससे खेती पूरी तरह बर्बाद हो सकती है और पोलर बियर जैसे जीव भी विलुप्त हो सकते हैं।
झारखंड में जल संकट और ग्लेशियर संरक्षण की जरूरत
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि भले ही झारखंड में ग्लेशियर न हों, लेकिन यहां छोटे-छोटे जल स्रोत और नदियों का संरक्षण बेहद जरूरी है। आईआईटी-आईएसएम धनबाद के पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. अंशुमाली ने बताया कि झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण नदी दामोदर है, जो 25,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है और इसमें 60 से अधिक सहायक नदियां मिलती हैं। लेकिन औद्योगिक प्रदूषण और अवैज्ञानिक जल दोहन से इसका अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर गर्गा जैसी छोटी सहायक नदियां खत्म हुईं, तो झारखंड में जल संकट और गहरा सकता है।
क्या है जल संरक्षण का समाधान?
संगोष्ठी में युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने बताया कि ग्लेशियर पृथ्वी का 70% ताजा जल संग्रहण करते हैं, इसलिए इनका संरक्षण बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि लद्दाख में कृत्रिम ग्लेशियर बनाए जा रहे हैं, जिनका पानी गर्मी में खेती के लिए उपयोग में आता है। इसी तरह के प्रयास झारखंड में भी किए जाने चाहिए।
सरयू राय ने कहा कि दामोदर नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने के लिए बीएसएल (बोकारो स्टील प्लांट) 2027 तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करेगा। उन्होंने दावा किया कि अगर यह प्लांट कामयाब रहा, तो दामोदर को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।
पर्यावरण दिवस पर होगा बड़ा अभियान
संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दामोदर नदी के किनारे विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें नदी पूजन, वृक्षारोपण और जन-जागरूकता अभियान शामिल होंगे।
समाप्ति में उठे ये बड़े सवाल:
-
क्या झारखंड में भी कृत्रिम ग्लेशियर बन सकते हैं?
-
दामोदर बचाने के लिए सरकार कितनी गंभीर है?
-
क्या झारखंड में जल संकट को रोकने के लिए कोई बड़ा अभियान शुरू होगा?
जल ही जीवन है, और अगर इसे बचाने के प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगी। अब सवाल यह है कि क्या हम इस चेतावनी को गंभीरता से लेंगे?
What's Your Reaction?






