युवक की पीट-पीटकर हत्या: ग्रामीणों ने लगाया दुष्कर्म और हत्या का आरोप
पश्चिमी सिंहभूम के गोईलकेरा में ग्रामीणों ने दुष्कर्म और हत्या के आरोप में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस ने युवक को बचाने की कोशिश की लेकिन वह अस्पताल में दम तोड़ गया।
रामगोपाल जेना, चक्रधरपुर (17 सितंबर 2024): पश्चिमी सिंहभूम के गोईलकेरा थाना क्षेत्र में सोमवार को एक दुखद घटना घटी, जहां ग्रामीणों ने दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाकर एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह घटना गोईलकेरा के बाईहातु गांव में हुई, जब एक युवती की जंगल में हत्या के बाद ग्रामीणों ने संदेह के आधार पर युवक को पकड़ा और उसकी पिटाई कर दी।
युवती की हत्या और दुष्कर्म की आशंका
पिछले सप्ताह बाईहातु गांव की एक युवती मवेशी चराने जंगल गई थी, जहाँ उसकी हत्या कर दी गई। इस हत्या के पीछे दुष्कर्म की संभावना जताई जा रही थी, जिससे पूरे गांव में गुस्से की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों को संदेह था कि कुरकुटिया गांव के युवक तूते हेम्ब्रम उर्फ तुलैया ने इस अपराध को अंजाम दिया है। बिना किसी ठोस सबूत के, ग्रामीणों ने उसे दोषी ठहरा दिया।
ग्रामीणों का गुस्सा और हिंसा
मंगलवार को, ग्रामीणों ने युवक को पकड़ लिया और उसकी बुरी तरह से पिटाई की। नाराज ग्रामीण उसे पैदल ही गोईलकेरा थाने लेकर जा रहे थे। बीच रास्ते में पुलिस को सूचना मिली और पुलिस ने मौके पर पहुँचकर युवक को बचाने की कोशिश की। लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। किसी तरह, पुलिस ने युवक को ग्रामीणों से छुड़ाया और उसे थाने लाया।
पुलिस की कोशिश और युवक की मौत
पुलिस ने घायल युवक को तुरंत अस्पताल भेजा, लेकिन ग्रामीणों की हिंसक पिटाई से उसे गंभीर चोटें आ चुकी थीं। अस्पताल में इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी और ग्रामीणों के उग्र प्रदर्शन के कारण पुलिस को स्थिति संभालने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी। ग्रामीण आरोपी को जल्द सजा देने की मांग कर रहे थे और थाने के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
प्रशासन और कानून व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों द्वारा कानून अपने हाथ में लेना एक खतरनाक संकेत है। इस तरह की घटनाएँ न केवल समाज में हिंसा को बढ़ावा देती हैं, बल्कि न्यायिक प्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती हैं। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, लेकिन घटना के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है।
इस घटना से एक बार फिर यह साबित होता है कि किसी भी आरोप की सच्चाई का पता लगाने से पहले कानून का पालन करना कितना जरूरी है। बिना किसी ठोस प्रमाण के हिंसा का सहारा लेना, समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।
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