शिव शंकर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान, रघुवर दास पर लगाया परिवारवाद का आरोप!

भाजपा के पुराने कार्यकर्ता शिव शंकर सिंह ने रघुवर दास पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की। जानिए क्या है पूरा मामला।

Oct 21, 2024 - 13:13
Oct 21, 2024 - 13:14
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शिव शंकर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान, रघुवर दास पर लगाया परिवारवाद का आरोप!
शिव शंकर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान, रघुवर दास पर लगाया परिवारवाद का आरोप!

जमशेदपुर: राजनीति के गलियारों में हलचल मचाने वाले शिव शंकर सिंह ने अपने गहरे दर्द और निराशा के साथ भाजपा के भीतर की राजनीति पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने रघुवर दास पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए आगामी चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह फैसला उनके लिए बेहद कठिन था, लेकिन पार्टी के भीतर हो रहे बदलावों ने उन्हें ऐसा कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।

शिव शंकर सिंह, जो कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गहरे जुड़े हुए हैं, ने अपने पूरे जीवन पार्टी के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने 1997 में भाजपा से जुड़ने से पहले महज 7 साल की उम्र में ही RSS के साथ अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण किसी से छुपा नहीं है। हर चुनाव में उन्होंने रघुवर दास का दिल से समर्थन किया और रघुवर दास को ‘फर्श से अर्श’ तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रघुवर दास का समर्थन और शिव शंकर सिंह की उम्मीदें:

शिव शंकर सिंह ने हमेशा रघुवर दास को अपना नेता माना और हर चुनाव में उनका समर्थन किया। वह खुद को भी भाजपा का सच्चा कार्यकर्ता मानते हुए इस बार चुनाव में उम्मीदवार बनने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन पार्टी की अंदरूनी राजनीति और रघुवर दास के फैसलों ने उन्हें बेहद निराश किया। शिव शंकर सिंह ने खुलासा किया कि जब उन्होंने रघुवर दास से अपनी उम्मीदवारी के बारे में बात की, तो उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया कि "ना मैं और ना मेरा परिवार उम्मीदवार बनेगा।"

परिवारवाद का आरोप और सच्चाई का सामना:

हालांकि, शिव शंकर सिंह का आरोप है कि रघुवर दास ने अपने कथन के विपरीत परिवारवाद की शुरुआत कर दी है। इस फैसले से शिव शंकर सिंह के साथ-साथ कई अन्य कार्यकर्ता भी आहत हुए हैं। शिव शंकर सिंह ने रामबाबू तिवारी, मिथिलेश यादव, दिनेश जी और अभय जी जैसे कई समर्पित कार्यकर्ताओं का जिक्र किया, जिन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके अनुसार, इन सभी कार्यकर्ताओं की दावेदारी भी मजबूत थी, लेकिन रघुवर दास ने अपने परिवार को प्राथमिकता दी।

निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान:

शिव शंकर सिंह ने दुखी मन से कहा कि वह अब पार्टी के इस फैसले को बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने अपने समर्थकों और स्थानीय लोगों से विचार-विमर्श करने के बाद यह कठोर निर्णय लिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेंगे। उनके इस फैसले ने भाजपा में एक बड़ी हलचल मचा दी है और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी और रघुवर दास इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

भाजपा के अंदर की उथल-पुथल:

शिव शंकर सिंह का निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान निश्चित तौर पर भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है। वह पार्टी के एक अनुभवी और समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं, जिन्होंने हमेशा पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाई है। लेकिन रघुवर दास के परिवारवाद के आरोप और पार्टी के भीतर हो रहे बदलावों ने उन्हें यह कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।

अगले कदम की तैयारी:

अब सवाल यह उठता है कि क्या शिव शंकर सिंह का यह निर्णय भाजपा के लिए बड़ा नुकसान साबित होगा? क्या रघुवर दास की नेतृत्व क्षमता पर यह फैसला सवाल खड़ा करेगा? और सबसे बड़ा सवाल—क्या शिव शंकर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं?

चुनाव के नामांकन के लिए केवल 4 दिन ही बाकी हैं, और शिव शंकर सिंह के इस कदम से स्थानीय राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।