Saraikela Snakebite: सरायकेला में सांप के डंसने से 22 वर्षीय महिला की दर्दनाक मौत
सरायकेला जिले के गांडीसाई गांव में 22 वर्षीय सालखु हांसदा की सांप के डंसने से मौत हो गई। देर से इलाज मिलने के कारण जहर पूरे शरीर में फैल गया और सदर अस्पताल में उनकी जान नहीं बच सकी।
सरायकेला जिले के राजनगर प्रखंड के गांडीसाई गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। 22 वर्षीय सालखु हांसदा की सांप के डंसने से मौत हो गई। यह घटना न केवल गांव के लिए बल्कि जिले के लिए भी चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि हर साल बारिश और बरसात के मौसम में सांप काटने की घटनाएं बार-बार सामने आती हैं।
कैसे हुआ हादसा?
मिली जानकारी के अनुसार, सालखु हांसदा सोमवार रात खाना खाने के बाद अपने कमरे में सोने चली गई थी। रात के सन्नाटे में अचानक एक जहरीला सांप कमरे में घुस आया और उसने महिला को डंस लिया। शुरुआत में महिला को यह एहसास तक नहीं हुआ कि उसे सांप ने काटा है। उसने इस डंस को किसी कीड़े-मकोड़े का काटना समझकर नजरअंदाज कर दिया। यही लापरवाही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
सुबह बिगड़ी हालत
मंगलवार की सुबह जब महिला की तबीयत बिगड़ने लगी, तो परिवार के लोग चिंतित हो उठे। अचानक शरीर में तेज दर्द और सुन्नपन महसूस होने पर परिजनों ने तुरंत उसे सदर अस्पताल, सरायकेला पहुंचाया। वहां मौजूद चिकित्सकों ने बिना देर किए उसे एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन चढ़ाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
जहर पूरे शरीर में फैल चुका था
डॉक्टरों ने बताया कि महिला अस्पताल देर से लाई गई थी। सांप के डंसने के बाद अगर तुरंत प्राथमिक उपचार मिलता और समय पर सही इलाज कराया जाता, तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन काफी समय बीत जाने के कारण जहर महिला के पूरे शरीर में फैल चुका था। परिणामस्वरूप, इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई।
गांव में मातम
सालखु हांसदा की अचानक हुई मौत से गांडीसाई गांव में मातम पसर गया है। परिवारजन रो-रोकर बेहाल हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में अक्सर गांव के आसपास सांप निकल आते हैं, लेकिन इस तरह की दर्दनाक घटना ने सबको झकझोर दिया है।
विशेषज्ञों की राय
सांप के काटने से होने वाली मौतों पर विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी सबसे बड़ी वजह है। अक्सर लोग सांप के डंस को कीड़े-मकौड़े का काटना समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है।
डॉक्टरों का सुझाव है कि –
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सांप के डंस के बाद तुरंत अस्पताल ले जाएं।
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घरेलू झाड़-फूंक, टोना-टोटका में समय बर्बाद न करें।
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प्रभावित हिस्से को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं, ताकि जहर पूरे शरीर में न फैले।
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मरीज को जल्द से जल्द एंटी स्नेक वेनम दिलवाना ही जीवन बचाने का एकमात्र उपाय है।
झारखंड में बार-बार सामने आ रही घटनाएं
गौरतलब है कि झारखंड के कई इलाकों में हर साल सैकड़ों लोग सांप के डंस का शिकार होते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बारिश और फसल कटाई के मौसम में सांप के काटने की घटनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं। हालांकि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक इसकी सही जानकारी नहीं पहुंच पाती।
गांडीसाई गांव की सालखु हांसदा की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग समय पर इलाज नहीं करा पाते? क्यों अब भी लोग झाड़-फूंक और अंधविश्वास में फंसे रहते हैं? यह घटना चेतावनी है कि हमें सांप के डंस जैसी आपात स्थिति को गंभीरता से लेना होगा और तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
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