सावन बरसे धारा - डॉ ऋतु अग्रवाल  ( मेरठ )

सावन बरसे धारा - डॉ ऋतु अग्रवाल  ( मेरठ )

Jul 27, 2024 - 03:19
Jul 27, 2024 - 03:32
 0
सावन बरसे धारा - डॉ ऋतु अग्रवाल  ( मेरठ )

आधार छन्द-सार 
शीर्षक-सावन बरसे धारा
विधा- गीत

प्रिय पावस आया आज सखी,दृश्य बहुत है प्यारा। 
उमड़-घुमड़ बदरा घिर आए,सावन बरसे धारा।।

चली मिलन को नदी बावरी, सागर व्याकुल होता।
अंबर छाई घटा साँवरी, नेह पुष्प शशि बोता।।
बाहुपाश में सिमट चाँदनी,लीपे नभ चौबारा।
उमड़-घुमड़ बदरा घिर आए, सावन बरसे धारा।।

कली-कली भँवरे मँडरायें, पुष्प गर्व से झूमें।
रंग-बिरंगे स्वर्ण फतंगे,जहाँ-तहाँ वन घूमें।। 
चातक टेरे डाली-डाली, नाचे मोर दुलारा।
उमड़-घुमड़ बदरा घिर आए, सावन बरसे धारा।।

ओस सरीखे मोती चमकें, गोदी में दूर्वा की।
शीतल मंद पवन चलता है, थाम बाँह पूर्वा की।। 
देख प्रकृति की अद्भुत माया , मगन जगत है सारा।
उमड़-घुमड़ बदरा घिर आए,सावन बरसे धारा।।


(फतंगे- तितलियां)


मौलिक सृजन 
डॉ ऋतु अग्रवाल 
मेरठ

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।